डीएवी सेनटेनरी पब्लिक स्कूल, ऊना  में डीएवी के स्थापना दिवस पर हवन यज्ञ व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया

डीएवी सेनटेनरी पब्लिक स्कूल, ऊना  में डीएवी के स्थापना दिवस पर हवन यज्ञ व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया

प्राचार्य अतुल महाजन, समन्वयक प्रेरणा महाजन सहित शिक्षकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में आहुतियां डाली

ऊना/सुशील पंडित: प्राचार्य अतुल महाजन ने डीएवी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज ही के दिन 1 जून 1886 में लाहौर में प्रथम डीएवी कॉलेज की स्थापना की गई थी| महात्मा हंसराज इसके प्रथम प्रधानाचार्य थे| डीएवी की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती जी के विचारों एवं सिद्धांतों के प्रचार के लिए की गई| प्राचार्य के नेतृत्व में शिक्षकों ने कर्तव्यनिष्ठा की शपथ ली व प्रण किया कि वे छात्रों को नैतिक मूल्यों के साथ शिक्षा प्रदान करेंगे| श्री महाजन ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी डीएवी संस्थाओं ने जिस प्रकार शिक्षा देने में अपनी भूमिका निभाई है, इसका श्रेय उन्होंने डीएवी  कालेज प्रबंधन कमेटी के प्रधान पदम श्री डॉ पूनम सूरी की सकारात्मक सोच को दिया|

समन्वयक सुदेश ने भी छात्रों को  स्वामी दयानंद जी के आदर्शों पर चलने का आह्वान किया| रीना लट्ठ ने वैदिक संस्कारों से युक्त शिक्षा देने के लिए व नैतिक मूल्यों को बढावा देने पर बल दिया|

कार्यक्रम में संगीत शिक्षिका मीनाक्षी विशिष्ट ने 'ओम् ही  जीवन हमारा ,ओम् प्राणाधार है 'भजन, राष्ट्रीय प्रार्थना की प्रस्तुति देकर डीएवी की विचारधारा से अवगत करवाया |

कक्षा दसवीं की छात्रा अक्षिता ने डीएवी के इतिहास व उनसे जुड़े महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालते हुए  महात्मा हंसराज के जीवन के सिद्धांतों के बारे में बताया और कहा कि उनके अनुशासन और समर्पण से हमें सीखने की जरूरत है|दिव्यांशी चंचल ने बताया कि स्वामी दयानंद का विश्वास था कि शिक्षा के प्रसार के द्वारा ही देश के कोने -कोने में जागृति आएगी|

सृष्टि, ईशु, इशिता व साक्षी ने चित्रकला के माध्यम से डीएवी के महान संस्थापकों को श्रद्धांजलि दी| इस अवसर पर कार्यक्रम प्रभारी दिशि वधावन, कुशल, संगीता मोनिका, तिलकराज, परमजोत ,नमिता, ममता, अनुपमा, पूजा, मधु, मीनाक्षी,विशेष रूप से उपस्थित रहे|