पैकेज का लाभ लेने आई थी साबुन कंपनी, पैकेज खत्म होते ही किये पलायन

पैकेज का लाभ लेने आई थी साबुन कंपनी, पैकेज खत्म होते ही किये पलायन

कच्चा माल मंहगा होने व कामगारों की सैलरी अधिक होने से  हो रही थी दिक्कत

प्रतिस्पर्धा के दौर दूसरी कंपनिनयों से महंगा बन रहा था साबुन

बददी/सचिन बैंसल :  बरोटीवाला में साबुन बनाने वाली कंपनी केवल पैकेज का लाभ लेने यहां आई थी। पैकेज समाप्त होने के बाद कंपनी ने अपना कोराबार कम कर दिया था। इसके अलावा कच्चा माल बाहर से मंगाने पर कंपनी को  अन्य कंपिनयों के के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही थी। यही नहीं मल्टीनेशन कंपनी होने केचलते कामगार को सैलरी 50 हजार रुपये प्रति माह तक हो गई थी। जिससे कंपनी के खर्च तो बढ़ गए थे लेकिन आय पहले से कम हो गई थी। कंपनी ने  कामगारो को दूसरे प्लांट में शिफ्ट होने का आफर दिया था। लेकिन जो लोग बाहर के थे वह तो वहां चले गए लेकिन हिमाचल के लोग जान के तैयार नहीं हुए। जिससे कंपनी ने उन्हें बीआरएस दिया। वह भी दस साल  तक 20 हजार रुपये सैलरी और दस लाख रुपये एक साथ दिए। जिससे कामगार इसका लाभ लेते हुए अन्य कपनियो में भी नौकरी कर सकते  है। 
बीडीसी सदस्य रामरतन चौधरी और कांग्रेस के प्रवक्ता अच्छर पाल कौशल ने बताया कि कुछ लोग जानबूझ कर इसका ट्रक यूनियन पर ठिकरा फोड़ रहे है जबिक कंपनी तो पिछल कई सालों से बंद करने की तैयारी में जट गई थी। यहां पर कच्चा माल मंहगा मिल रहा है। और अन्य कंपनियों के साबुन से मुकाबला करना कंपनी को नुकसान उठाना पड़ रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी लगातार पड़ रहे घाटे के चलते यहां से शिफ्ट हुई न की ट्रक यूनियन के कारण उसे यहां से जाना पड़ा। कंपनी केवल पैकेज का लाभ लेने आई थी और पैकेज समाप्त होने के बाद उसने धीरे धीरे अपने कदम खींचने शुरू कर दिए थे। अच्छर पाल कौशल ने बताया कि कंपनी ने कामगार को आफर  राजपुरा, हरिद्वार की कंपनियो में जाना का आफर दिया था लेकिन हिमाचल के लोग जाने को तैयार नहीं हुए। कंपनी पड़ रहा लगातार घाटा के चलते यहां से यूपी के समीर पुर शिफ्ट हो गई। 15 पहले सो दस हजार रुपये कामगार लगे थे वर्तमान में उन्हें 50 हजार रुपये मल्टीनेशन कंपनी होने के कारण देना पड़ रहा था। उन्होंने इसे ट्रक यूनियन को लेकर जोड़ना निराधार बताया।  कंपनी मे शुरू में 500 कामगार थे लेकिन दो सौ कामगारो को पिछले वर्ष बीआरएस दे दीथी और सौ कामगार यहां से दुसरे कारखानों में शिफ्ट हो गए थे। बाकी बचे दो सौ को कंपनी इस वर्ष बीआर सी दी गई।