पंजाबः किसानों ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने का किया ऐलान, देखें वीडियो

पंजाबः किसानों ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने का किया ऐलान, देखें वीडियो

अमृतसरः किसानों ने अब विधानसभा के बाहर काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। यह ऐलान किसान नेता बलदेव सिंह ने किया है। दरअसल, ब्यास नदी का प्रवाह बदलने वाले डेरा मुखी गुरिंदर सिंह ढिल्लो के खिलाफ बलदेव सिंह ने एक बार फिर से बड़ा मोर्चा खोलने का ऐलान किया हैं। उन्होंने कहा कि बार-बार शिकायक करने के बावजूद ढिल्लो के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिसके चलते अब वे विधानसभा सत्र के दौरान काले कपड़े पहनकर पंजाब सरकार के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। बलदेव सिंह सरसा ने कहा कि उन्होंने काफी समय से माननीय अदालत का सहारा लेकर ब्यास के मुखी के खिलाफ उनका अभियान शुरू किया है और जब तक ब्यास नदी पर उनका जबरन कब्जा रहेगा तब तक हम ब्यास के मुखी के खिलाफ मोर्चा नहीं छोड़ेंगे। 

ब्यास नदी पर कब्जे को लेकर अब किसान नेता बलदेव सिंह सारसा ने कहा कि प्रशासन व पुलिस प्रशासन को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उनका आरोप है कि इस मामले में सबसे बड़ा कारण यह है कि गुरिंदर सिंह ढिल्लो राजनीतिक शह हैं। उन्होंने कहा कि डेरा मुखिया द्वारा पंजाब के लोगों के साथ धक्का दिया जा रहा है और उसी तरह का धक्का आम लोगों को गुरमीत राम रहीम द्वारा किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि हमने पंजाब सरकार को कई बार पत्र लिखा है और उन पत्रों का हमें कोई जवाब नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम विधानसभा के बाहर काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसान नेता ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम किसानों के साथ मिलकर गुरिंदर सिंह ढिल्लो के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। 

यहां उल्लेखनीय है कि ब्यास नदी के प्रवाह को ब्यास नदी के प्रधान गुरिंदर सिंह ढिलो द्वारा बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके संबंध में बलदेव सिंह सरसा ने कुछ दिन पहले ब्यास दरवाजा का दौरा कर उसका निरीक्षण किया था। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों को भी सूचित किया गया था। उनका आरोप है कि लेकिन आज एक बार फिर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा गुरिंदर सिंह ढिल्लो के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसके बाद किसानों द्वारा विधानसभा के बाहर काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन करने की बात सामने आ रही है, अब देखना होगा कि सरसा के आह्वान पर या राजनीतिक दबाव में कितने किसान विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हैं।