सहकारिता आंदोलन का जन्म हरोली के पंजावर गांव में हुआ:जगत राम शर्मा

सहकारिता आंदोलन का जन्म हरोली के पंजावर गांव में हुआ:जगत राम शर्मा

ऊना/सुशील पंडित: मुकेश अग्निहोत्री को सहकारिता विभाग का अतिरिक्त मंत्रालय देने पर प्रतिभा सिंह व सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद करते हुए इंटक ने इस बात की लोगों को और नेताओं को बधाई दी। राष्ट्रीय इंटक के संगठन सचिव व प्रदेश के महासचिव कामरेड जगत राम शर्मा ने प्रेस नोट में बताया कि सहकारिता आंदोलन का जन्म हरोली के पंजावर गांव में हुआ था, जो आज पूरे भारत में सहकारिता आंदोलन से फैला हुआ है | इसमें करोड़ों अरबों रुपए का विकास हो रहा है और लाखों लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं| जगत राम ने इस बारे में भी जानकारी दी की, आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने ही सार्वजनिक क्षेत्र को पहल पर इसके बाद सहकारिता आंदोलन, ज्वाइंट सेक्टर तथा निजी क्षेत्र को भी बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन किया |कांग्रेस की नीतियों के कारण ही देश का चौमुखी विकास हुआ | जगत राम ने यह भी बताया जिस प्रकार सहकारिता आंदोलन का श्रेया जिला ऊना को जाता है  जो पहले होशियारपुर का हिस्सा था l उनके लोगों को यह बताना भी बड़ा जरूरी है, गैर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण के लिए हिमाचल बिल्डिंग एवं कंस्ट्रक्शन मजदूर यूनियन रजिस्टर नंबर 273,25 जुलाई 1983 को जिला ऊना में ही गठन हुआ था |

इसके पहले अध्यक्ष स्वर्गीय पंडित जगन्नाथ थे l जो बाद में इंटक के प्रधान रहते हुए जिला ऊना से राज्य सभा के सदस्य भी बने l संस्थापक सदस्यों से मैं खुद और साथी राम आसरा जीवित है | राम आसरा जी भक्ति में मग्न है और मैं यूनियन में अभी तक सक्रिय हूं और इसी यूनियन का प्रदेश अध्यक्ष हूं l हिमाचल प्रदेश और देश के अन्य भागों में इंटक के संगठन के बाद भवन निर्माण मजदूरों के लिए बोर्ड गठित करने की मांग उठी | 1996 में सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में मनमोहन सिंह की सरकार ने गैर असंगठित असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए बोर्ड का गठन किया | 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने बोर्ड का गठन किया जो कि लंगड़ा था उसके बाद स्व. राजा वीरभद्र सिंह ने बोर्ड का सही अर्थों में गठन किया | 

जिसमें इंटक के अलावा सभी विरोधी ट्रेड यूनियन के सदस्यों को भी लिया गया और उसमें लोगों के लिए भरपूर मदद की l जो स्व. राजा वीरभद्र सिंह के युग में लोगों को सहायता की अति प्रशंसनीय थी | दुर्भाग्यवर्ष पूर्व सरकार ने जाते-जाते सभी एक सर्कुलर में ही झटके से ट्रेड यूनियन के अधिकार समाप्त कर दिए और ट्रेड यूनियन को इस काम से बाहर कर दिया, जोकि एक्ट में ट्रेड यूनियन का इस बोर्ड के साथ काम करने का मौलिक अधिकार है और सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने यह कहा था मैं आते ही सत्ता परिवर्तन के साथ व्यवस्था भी बदल लूंगा परंतु फरवरी माह में जयराम की सरकार द्वारा किए गए सर्कुलर मोहर लगा दी जो कि सरासर गलत है l सुक्खू को इंटक मोदी की राह पर चलने नहीं देगी और इसका बहुत कड़ा विरोध किया जाएगा l