कनाडा सरकार ने भारतीयों को दिया एक और बड़ा झटका

कनाडा सरकार ने भारतीयों को दिया एक और बड़ा झटका

नई दिल्लीः कनाडा में सरकार ने विदेशियों के लिए प्रॉपर्टी खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आवास की कमी का सामना कर रहे स्थानीय लोगों को अधिक घर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कनाडा में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने वाले विदेशियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि, अधिनियम में कई अपवाद भी हैं। कनाडा सरकार ने यह भी साफ किया है कि ये प्रतिबंध केवल शहर के आवासों पर लागू होगा। ग्रीष्मकालीन कॉटेज जैसी प्रॉपर्टी पर ये प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने पर प्रतिबंध

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 2021 के चुनाव अभियान के दौरान स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए प्रोपर्टी को लेकर ये प्रस्ताव रखा था। कनाडा में बढ़ती कीमतों की वजह से कई लोगों की पहुंच से घर खरीदना बाहर है. स्थानीय लोगों को अधिक घर उपलब्ध कराने के मकसद से रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने वाले विदेशियों पर बैन लगाया गया है।

महंगाई है बड़ी समस्या?

कनाडा में घर खरीदने वालों की मांग काफी बढ़ी है। मुनाफाखोर भी प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री में लगे थे। कनाडा में घर विदेशी निवेशकों को काफी आकर्षित करते रहे हैं। खाली पड़े घर, आसमान छूती कीमतें भी वास्तविक समस्या का कारण हैं। सरकार ने साफ किया है कि घर लोगों के लिए है, निवेशकों के लिए नहीं। सरकार ने गैर-कनाडाई अधिनियम के जरिये रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की खरीद पर बैन लागू कर दिया।

अधिनियम में कई अपवाद 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हालांकि अधिनियम में कई अपवाद हैं जो शरणार्थियों और स्थायी निवासियों को घर खरीदने की इजाजत देते हैं। वैंकूवर और टोरंटो जैसे प्रमुख बाजारों में भी गैर निवासियों और खाली घरों पर टैक्स लगाना शुरू किया गया है। देश में रियल एस्टेट मार्केट विक्रेताओं के लिए सुस्त पड़ गया है क्योंकि महंगाई पर लगाम लगाने के लिए बैंक ऑफ कनाडा की आक्रामक मौद्रिक पॉलिसी का अनुसरण किया जा रहा है।

विदेशी खरीदारों पर प्रतिबंध से क्या फायदा?

हालांकि रियल एस्टेट कारोबार से संबंधित कई विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि विदेशी खरीदारों पर प्रतिबंध से घरों को अधिक किफायती बनाने की दिशा में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बल्कि मांग को पूरा करने के लिए अधिक आवास निर्माण की जरूरत पड़ेगी। कनाडा मॉर्टगेज एंड हाउसिंग कॉरपोरेशन ने जून की एक रिपोर्ट में कहा था कि 2030 तक करीब 19 मिलियन रेसिडेंशियल यूनिट की जरूरत होगी।