कुपोषण से निदान के लिए विशेष मुहित चलाई जाएगी: जतिन लाल
प्राथमिकता तौर पर प्रथम तीन माह में बच्चों में आने वाले अन्तर का विश्लेषण किया जाएगा, जिसके आधार पर आगे छः माह तक बढ़ाया जाएगा। ज़िला में कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता व आशावर्कर के माध्यम से बच्चों की सेहत में होने वाले सुधार बारे फीडबैक लेकर डाटा तैयार किया जाएगा। उपायुक्त ने कहा कि ज़िला ऊना के लोगों की आर्थिक स्थिति व जीवन शैली के दृष्टिगत यहां अन्य ज़िलों की अपेक्षा कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा नहीं है। उन्होंने बाल विकास संरक्षण अधिकारी को निर्देश दिये।
कि वह आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता व आशावर्कर के माध्यम से पूरे ज़िला में कुपोषित बच्चों तथा बीपीएल परिवारों की धात्री महिलाओं की पहचान करके 31 मार्च से पहले पूरी फील्ड रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि इसी आधार पर उत्पादों के क्रय हेतु आगामी कार्ययोजना तैयार की जा सके। उन्होंने संस्थान के अधिकारियों को शिशु पोष्टिक आहार में मिलेट्स प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देने के लिए कहा। उन्होंने सीएसआईआर-हिमालयन जैवसंस्था प्रोद्योगिकी संस्थान, पालमपुर तथा जिला के सभी सीडीपीओ व खण्ड विकास अधिकारियों के साथ एक वर्कशॉप का आयोजन करके इस मुहिम के सफल कार्यान्वयन के लिए एक कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिये।
बैठक में ज़िला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस नरेन्द्र कुमार, डॉ. रिचा कालिया, सीडीपीओ ऊना कुलदीप दयाल, धुंधला के रूपेश कुमार व अम्ब के विजय कुमार, सीएसआईआर-हिमालयन जैवसंस्था प्रोद्योगिकी संस्थान पालमपुर से प्रधान वैज्ञानिक डॉ. महेश गुप्ता, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विद्याशंकर श्रीवतसन व डॉ. सुखजिन्दर सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।