जालंधरः पहली बार सरकारी बसों पर लगा लाखों रुपए का जुर्माना

जालंधरः पहली बार सरकारी बसों पर लगा लाखों रुपए का जुर्माना

जालंधर/वरुणः पंजाब में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब लेट टैक्स के लिए सरकारी बसों पर भी जुर्माना लगाया गया है। पंजाब रोडवेज बस डिपो होशियारपुर और जालंधर के डिपो 1 और 2 पर क्रमशः 17 लाख और 52.35 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जो कुल मिलाकर 69 लाख रुपये से अधिक है। तीनों बस डिपो पर बसों की समय अनुसार पासिंग ना करवाने के कारण जुर्माने और टैक्स पर ब्याज का भुगतान किया गया है। आरोप है कि विभाग के निदेशक द्वारा समय पर टैक्स भरने के लिए बजट उपलब्ध कराने के कारण सिर्फ सरकारी बसों पर जुर्माना लगाया गया है।

बता दें कि सरकारी बसों को भी हर साल पास करना पड़ता है और स्पेशल रोड टैक्स देना पड़ता है। यह टैक्स प्रति किलोमीटर तय होता है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि सरकारी बसों से टैक्स न चुकाने पर जुर्माना और ब्याज वसूला गया हो। देरी से टेक्स अदायगी मामले में ट्रांसपोर्ट विभाग को यह टैक्स, जुर्माना और ब्याज का भुगतान करना पड़ा और इस संबंध में बसे भी नहीं चल पाई। जिसका फायदा प्राइवेट बसों को हुआ है। शहीद भगत सिंह नगर बस के डिपो प्रबंधक ने चंडीगढ़ स्थित निदेशक परिवहन सह प्रबंध निदेशक पनबस को बसों की पासिंग के लिए टैक्स भरने के लिए पत्र भेजा है। लेकिन चंडीगढ़ दफ्तर के द्वारा उसकी राशि का भुगतान नहीं किया गया। जिसके चलते रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी अर्थात आर.टी.ए. होशियारपुर में शहीद भगत सिंह नगर बस डिपो की उन बसों को चलने से रोक दिया गया जिनकी पासिंग नहीं हो पाई और न ही दिन का टैक्स अदा हो पाया। ऐसा भी नहीं कि टैक्स अदा करने में मामूली देर हुई हो बल्कि कई बसों का टैक्स तो 11 महीने तक नहीं अदा किया गया।

जिस पर रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी होशियारपुर ने जुर्माने के साथ-साथ ब्याज भी लगाया। जुर्माने की राशि 16,79,897 रुपये थी और उस पर ब्याज 22,000 रुपए लगा और कुल राशि 17 लाख रुपये से अधिक की बन गई। इससे कुछ दिन पहले जालंधर के डिपो एक और दो की बसों की पासिंग वक्त पर न करवाने के चलते दोनों डिपो को बड़ा जुर्माना लगाया गया। जालंधर बस डिपो एक को 34.98 लाख रुपये और डिपो दो को 17.36 लाख रुपये, कुल मिला कर 52.35 लाख रुपये का जुर्माना और ब्याज लगाया गया। यूनियन के लोगों का आरोप है कि विभाग की डायरेक्टर हर बात को लटका देती है जिसके चलते अनेक मामले विचाराधीन पड़े हैं जबकि पहले अधिकारी देरी नहीं होने देते थे। इस संबंध में जब डायरेक्टर ट्रांसपोर्ट अमनदीप कौर से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि विभाग के पास बजट की व्यवस्था नहीं थी जिसके चलते टैक्स  नहीं भरा जा सका। सरकार का बजट आने के बाद ही विभाग को बजट मिला और फिर राशि अदा की गई।