पंजाबः सुनसान पड़ा अमृतपाल का नशा छुड़ाओ केंद्र, करोड़ों की फंडिंग की जांच जारी

पंजाबः सुनसान पड़ा अमृतपाल का नशा छुड़ाओ केंद्र, करोड़ों की फंडिंग की जांच जारी

अमृतसरः वारिस पंजाब दे के मुखी अमृतपाल सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार डिब्रूगढ़ जेल में बंद कर दिया है। वहीं पुलिस अब अमृतपाल सिंह के रईया के पास अपने गांव जल्लूपुर खेड़ा में बने नशा छुड़ाओं केंद्र की जांच में जुटी हुई है। पुलिस को लगता है कि इसी के जरिए करोड़ों रुपए की फडिंग हो रही थी। वहीं अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद नशा छुड़ाओं केंद्र भी सुनसान पड़ गया है। हाल ही में यहां पर मौजूद उक्त डाक्टर ने नशा छुड़ाओं केंद्र को लेकर खुलासा भी किया था। जिसमें उसने कहा था कि नशा छुड़ाओं केंद्र में नशे छुड़वाने के लिए कोई भी डाक्टर मौजूद नहीं है।

उक्त डॉक्टर ने बिना अपना नाम बताए बताया कि खालसा वहीर के दौरान उसकी मुलाकात अमृतपाल सिंह से हुई थी। जब उसने अमृतपाल सिंह को बताया कि वह गांव में मेडिकल स्टोर चलाता है तो उसे गांव जालूपुर में नशा छुड़ाने के लिए लाए जा रहे युवकों को दवा देने की जिम्मेदारी दी गई ।हालांकि, उक्त युवक का दावा है कि उसने अमृतपाल और उसके साथियों से कहा था कि वह नशामुक्ति केंद्र में दी जाने वाली दवाएं नहीं दे सकता, क्योंकि केवल एक डॉक्टर ही इन दवाओं को दे सकता है। युवक के मुताबिक उसने डी-फार्मेसी की है और गांव में वह प्रैक्टिस भी करता है। उन्हें गांव जल्लुपुर के नशामुक्ति केंद्र में आने वाले युवाओं के लिए दवा की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी गई थी। युवक को दवाई के बदले में उसके बनते पैसे भी दिए जाते थे। युवक का कहना है कि वह केवल बुखार, खांसी, जुकाम या सिरदर्द जैसी सामान्य समस्याओं की ही दवा देता रहा है। इसके मुताबिक वहां पर ऐसा कोई प्रंबंध नहीं था जोकि एक नशामुक्ति केंद्र में होना चाहिए।

वहां पर जितनी बड़ी संख्या में युवा नशा छुड़वाने के लिए आते थे, उतनी ही संख्या वापस चले जाते थे। इतना ही नहीं, अमृतपाल को नशा छुड़ाओं केंद्र के नाम पर करोड़ों रुपए फंडिंग हुई थी। जिसकी जांच अब पंजाब पुलिस ने करनी शुरू कर दी है। यह पैसा कहां से आ रहा था, किस जरिए से आ रहा था और कौन भेज रहा था, इसका पूरा रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। गांव के लोग अमृतपाल के बारे में कैमरे के सामने बात करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन कैमरा बंद करने के बाद हैरान करने वाली बातें बताते हैं। लोगों ने बताया कि अमृतपाल सिंह ने नशा छुड़ाने के लिए जिन युवाओं को गुरुद्वारे में ठहराया था, उनमें से 90 प्रतिशत मालवा से ही थे। उनके गांव से तो एक-दो से अधिक युवा नहीं थे। माझे के तो युवा दिखते ही नहीं थे। हैरानी की बात थी कि वे युवा यहां इतनी दूर अमृतपाल के पास आकर ही क्यों नशा छोड़ना चाहते थे। नशा छुड़ाओ केंद्र में उन्हें फ्रूट, ड्राई-फ्रूट और दूध आदि ही पीते देखा जाता था।

गांव वाले भी हैरान थे कि इतना फंड आ कहां से रहा है। गांव के कुछ बुजुर्गों ने बताया कि अमृतपाल सिंह ने जिन युवाओं को नशा छुड़ाओ केंद्र में ठहराया था, वे गांव के चक्कर लगाते रहते थे। बाहरी व्यक्तियों के गांव में इस तरह घूमने पर लोगों ने ऐतराज जताया था। जिसके बाद ही अमृतपाल उसे गांव से बाहर ले जाने पर विचार कर रहा था। इस नशा केंद्र को अमृतपाल सिंह मोगा में गांव जोगेवाला कें गुरुद्वारा साहिब में शिफ्ट करने की तैयारी में था। 15 फरवरी से उसने यह तैयारी शुरू कर ली थी, बोर्ड भी लगा दिए गए थे। लेकिन दो दिन बाद ही अमृतपाल सिंह के साथी तूफान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 23 अप्रैल को अमृतपाल सिंह ने अपने साथियों को साथ लेकर अजनाला थाने पर हमला बोल दिया। तनाव की स्थिति में यह नशा छुड़ाओ केंद्र पूरी तरह से शिफ्ट नहीं हो पाया था। अब अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह पूरी तरह से बंद हो चुका है।