दिवाली पर महंगाई की मार: रिफाइंड और सरसों के तेल के दामों में हुई बढ़ौतरी

दिवाली पर महंगाई की मार: रिफाइंड और सरसों के तेल के दामों में हुई बढ़ौतरी
दिवाली पर महंगाई की मार: रिफाइंड और सरसों के तेल के बढ़े दाम

नई दिल्लीः दीपावली से चंद घंटे पहले ही बाजार में रिफाइंड व सरसों के तेल की कीमतें अचानक बढ़ गई हैं। जहां रिफाइंड ऑयल 10 रुपये लीटर महंगा हो गया है। वहीं दीपावली के दीये पर भी महंगाई का असर होने जा रहा है। सरसों का तेल पांच रुपये लीटर बढ़ गया है। यह बढ़ोतरी चंद घंटों में ही देखने को मिली है। इसके बाद बाजार में काफी दुकानदारों ने सरसों व रिफाइंड ऑयल का भंडारण कर लिया है। सरसों के तेल का थोक व्यापार करने वाले विशाल गुप्ता इसकी वजह कुछ अलग बताते हैं। उनका कहना है कि उपभोक्ताओं को महंगी कीमतों से राहत देने के लिए सरकार के सालाना 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क मुक्त आयात करने की छूट देने के बाद भी देश में इन तेलों की कम आपूर्ति की स्थिति बनी है। जितनी मात्रा में शुल्क मुक्त आयात की छूट दी गई है उसके मुकाबले घरेलू मांग काफी अधिक है। 

इन तेल की बाकी मांग को पूरा करने के लिए आयातकों को 5.50 प्रतिशत आयात शुल्क अदा करना होगा लेकिन इस शेष शुल्क अदायगी वाले तेल को शुल्क मुक्त आयातित तेल से ही प्रतिस्पर्धा करनी होगी जिसकी वजह से आयातक नए सौदे खरीद नहीं रहे और इससे सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम सस्ता होने के बजाय और महंगे हो गए हैं। इससे उपभोक्ताओं को सोयाबीन तेल सात रुपये किलो और सूरजमुखी का तेल 20-25 रुपये किलो महंगा मिल रहा है। सरकार को तत्काल इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

सरकार या तो शुल्क मुक्त आयात की सीमा को खत्म कर दे या पहले की तरह 5.50 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा दे। इससे घरेलू बाजार में तेल की आपूर्ति बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्य तेल मिलेगा और सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी। मंडी फैंटनगंज के व्यापारी विकास ढांडा का कहना है कि कुछ फेस्टिवल सीजन का भी असर है। मांग अचानक बढ़ गई है। दाम बढ़ने से सप्लाई भी कम हो गई है, कुछ असर मुनाफाखोरों का भी है, जिन्होंने फेस्टिवल सीजन में गोदाम भर लिए और दाम बढ़ाकर बेच रहे हैं।