भाजपा को याद आया सबसे अंत में वीर नारियों, पूर्व सैनिकों का सम्मान

भाजपा को याद आया सबसे अंत में वीर नारियों, पूर्व सैनिकों का सम्मान

आनन-फ़ानन में रखा रक्षामंत्री का हिमाचल दौरा

ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के नज़दीक आते ही भाजपा सरकार को अपने कार्यकाल के पांचवें साल के अंत में और आनन-फ़ानन में रक्षामंत्री के ज्वालामुखी दौरे पर आखिर याद आ ही गया वीर भूमि के पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और अर्द्धबल सैनिकों का मान-सम्मान यह बातें एक प्रेस विज्ञप्ति में प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता डॉ विजय डोगरा ने कहीं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कुल मिलाकर लगभग साढ़े चार लाख से अधिक संख्या में पूर्व व सेवारत सैनिक हैं। कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी व बिलासपुर के अतिरिक्त अन्य जिलों में भी इनकी प्रर्याप्त संख्या है यदि उनके परिवारों को भी शामिल किया जाए तो कुल मिलाकर इनकी संख्या लगभग बीस लाख के करीब है। जिनका चुनावों पर भी स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।

परन्तु जिस तरह से केन्द्र, राज्य सरकार व गृह मंत्रालय लगातार दोनों संगठनों की अनदेखी कर उनकी सुविधाओं में कटौतियां कर रहा है इससे सेना व पैरामिलिट्री के पूर्व सैनिकों में भारी रोष व्याप्त है वह खुलकर विरोध, प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस पूर्व सैनिक विभाग की कांगड़ा पालमपुर, कुटलैहड़, बड़सर की विशाल रैली व शिमला व ऊना धरना प्रदर्शन इसके प्रत्यक्ष सूबूत हैं।

उन्होंने भाजपा पर तीख़ा हमला करते हुए कहा कि ज़मीन खिसकती देख इसीलिए आनन फानन में भाजपा ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के ज्वालामुखी दौरे का कार्यक्रम रखा गया है व घर घर घूम वीर नारियों, पूर्व सैनिकों को आने का आग्रह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रक्षामंत्री का वीरों की देवभूमि में हार्दिक स्वागत है परन्तु उन्हें भी चुनाव की घड़ी में पांचवें साल के अंत में ही वीरांगनाओं व वीर पूर्व सैनिकों की याद क्यों आई?

अपने दौरे पर उन्हें पूर्व सैनिकों के कुछ वाज़िब सवालों का भी जवाब देना होगा:
विगत् मार्च में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावज़ूद भी छ: माह से भाजपा सरकार ने वन रैंक वन पेंशन योजना का 2019 से एरियर क्यों रोका हुआ है?
ज्ञात रहे कि पूर्व सैनिकों की ईसीएचएस स्वास्थ्य सुविधा में पिछले दो सालों में  लगभग 2000 करोड़ रुपए की कटौती की गई है जिससे लाभार्थियों को पूरी दवाएं, ईलाज व उपकरण नहीं मिल पा रहे। क्या भाजपा सरकार इस कटौती को खत्म कर  सेना के राजस्व से फंड न देकर, बल्कि पैंशन फंड से जोड़ ईसीएचएस स्कीम को पूरा बजट देने का प्रावधान करेगी?

भाजपा एक तरफ़ सैनिकों के सम्मान के दावे करती है परन्तु दूसरी तरफ़ अग्निपथ,अग्निवीर जैसी त्रुटिपूर्ण योजना चलाकर प्रदेश के युवाओं, पूर्व सैनिकों के आश्रितों की हर साल होने वाली चार हज़ार नौकरियों को छीन लिया है व कोरोना की आड़ में पिछले दो सालों में शारीरिक व मेडिकल परीक्षा पास करने वाले युवाओं की लिखित परीक्षा करवा उन्हें सेना में भर्ती होने का अवसर देगी?

सेवाकाल के दौरान अपंग हुए सैनिकों को सरकार ने करोड़ों रुपए वकीलों पर खर्च कर आठ सालों तक कोर्ट में तो घसीटा ही, बताएं उनकी पैंशन पर लगने वाले आयकर को पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा?

क्या रक्षामंत्री सीएसडी कैंटीन में की गई कटौतियां समाप्त कर 2014 से पूर्व मिलने वाली सुविधाओं की पुनः बहाली शुरू कर के जाएंगे?
शिक्षा भत्ता व बेटियों की मैरिज ग्रांट में दो सालों से विलम्ब क्यों?

रक्षामंत्री जी बताऐं हमारे छावनी क्षेत्रों की बेशकीमती ज़मीने पूंजीपतियों, निजी क्षेत्र की कंपनियों के हाथों कौड़ियों के भाव क्यों बेची व सौंपी जा रही है?
छावनियों क्षेत्रों को सिविल लोगों के लिए पूरी तरह खोल कर सैन्य सुरक्षा को जोख़िम में क्यों डाल दिया गया है?
हिमाचल में सेवानिवृत्त अर्धसैनिक बल बोर्ड का गठन क्यों नहीं किया गया? उनकी स्वास्थ्य व कैंटीन सुविधा विस्तार में विलम्ब क्यों? पूर्व की तरह पैंशन सुविधा कब लागू होगी व पूर्व सैनिक का दर्जा व सरकारी नौकरियों में उन्हें आरक्षण कब मिलेगा।

उम्मीद है प्रदेश के लाखों पूर्व सैनिकों को माननीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हिमाचल दौरे के दौरान देवभूमि से इन सभी प्रश्नों का सही उत्तर देने का साहस करेंगे?

यदि वह इन कटौतियों को बहाल करने की यहां से घोषणा नहीं करते तो निश्चित ही संयुक्त रुप से पूर्व सैनिक व पैरामिलिट्री सैनिक अपने विरोध को और मुखर करते हुए आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार को करारा जवाब देंगे।