रामकथा का फल अत्याधिक मीठा, हमें इसे दूसरों में भी बांटना चाहिए -झंबर में बोले, आचार्य तरुण डोगरा

रामकथा का फल अत्याधिक मीठा, हमें इसे दूसरों में भी बांटना चाहिए -झंबर में बोले, आचार्य तरुण डोगरा

ऊना/सुशील पंडित : हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना उपमंडल के तहत पड़ती ग्राम पंचायत झंबर में 5 अप्रैल से 13 अप्रैल तक चल रही श्री रामकथा महाज्ञान यज्ञ के छठे दिन क्षेत्र के सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्य तरुण डोगरा ने अपने मुखारविंद से अमृत वर्षा करते हुए कहा कि इस नश्वर रूपी संसार में श्रीराम कथा से मीठा कुछ नहीं है और श्रीराम की कथा का मीठा फल उसके श्रवण से प्राप्त हो सकता है। श्रीराम कथा से जो फल की प्राप्ति होती है उसे हमें दूसरों में बांटना चाहिए, क्योंकि बांटकर चखे हुए फलों से अप्रतिम संतुष्टि प्राप्त होती है। इससे जीवन में आनंद का संचार होकर मन को सुख मिलता है। उन्होंने कहा कि जब भी भक्त को प्रभु से प्रेम हो जाता है, तो प्रभु को अपने भक्त के लिए अवतार लेना ही पड़ता है। और संसार में हर व्यक्ति कुछ न कुछ लेने ही आया है। वह किसी को कुछ देता भी है तो कुछ पाने की लालसा भी रखता है। क्योंकि इस कलयुग में लोग सम्मान भी सहज रूप से नहीं देते। सम्मान भी देते है तो किसी से उसी प्रकार का सम्मान वापस पाने के लिए। आचार्य तरुण डोगरा ने बताया कि जो भक्त श्रीराम से जुड़ा है वह विचारशील तो होता ही है। साथ ही संसार के कल्याण के बारे में भी सोचने लगता है। 

उन्होंने कहा कि संसार में सबकुछ संभव है, किसी वस्तु का अभाव नहीं है। अभाव है तो हमारे और आपके भाव में, क्योंकि भगवान तो भाव के वश में होते हैं। उन्होंने कहा कि रामकथा से हमें संस्कारों की शिक्षा मिलती है। आचार्य तरुण डोगरा ने बताया कि जो भक्त सच्चे मन से कथा का श्रवण करते हैं वह हर विघ्न से परे होकर समाज में आदर्श प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि कलियुग में श्री रामकथा से बढ़कर कुछ नहीं है। जिस प्रकार भोलेनाथ तीनों लोकों के गुरु हैं। सृष्टि की रक्षा के लिए उन्होंने विषपान भी कर लिया। उनकी कृपादृष्टि सभी पर समान रूप से पड़ती है। वहीं मां पार्वती तो साक्षात भगवती स्वरूप हैं। उसी प्रकार उनके द्वारा रचित श्री राम चरित्र मानस इस पृथ्वी पर बिचड़ने वाले जीवो के लिए जीने का एक संदेश है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा हमें मरने का महत्व सिखाती है और श्री राम कथा हमें जीवन जीने की राह सिखाती है।