पांचवे दिन कथा व्यास ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया, श्रोता हुए भाव विभोर

पांचवे दिन कथा व्यास ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया, श्रोता हुए भाव विभोर

कलयुग केवल नाम अधारा" सुमिर सुमिर नर उत्तरहीं पारा": गणेश दत्त शास्त्री 

ऊना/सुशील पंडित : जिला ऊना की ग्राम पंचायत बदोली के ठाकुरद्वारा प्रांगण में आयोजित की जा रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास गणेश दत्त शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया । कथा व्यास ने कृष्ण जन्म कथा के बाद कथा को आगे बढ़ाते हुए पूतना वध, यशोदा मां के साथ बालपन की शरारतें, भगवान श्री कृष्ण का गो प्रेम, कालिया नाग मान मर्दन, माखन चोरी गोपियों का प्रसंग सहित अन्य कई प्रसंगों का कथा के दौरान वर्णन किया ।कंस का आमंत्रण मिलने के बाद भगवान श्री कृष्ण बड़े भाई बलराम जी के साथ मथुरा को प्रस्थान करते हैं। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा व्यास द्वारा बीच-बीच में सुनाए गए भजनों पर श्रोता भावविभोर हो गए।


हरि नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता


कथा व्यास गणेश दत्त शास्त्री ने बताया कि भगवान कथा विचार, वैराग्य ,ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है ।कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कलयुग में मानस पुण्य तो सिद्ध होते हैं। परंतु मानस पाप नहीं होते। कलयुग में हरी नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। कलयुग में ईश्वर का नाम ही काफी है सच्चे हृदय से हरि नाम के सुमिरन मात्र से कल्याण संभव है। इसके लिए कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने की आवश्यकता नहीं है। कलयुग केवल नाम अधारा" सुमिर सुमिर नर उत्तरहीं पारा",जबकि सतयुग ,द्वापर और त्रेता युग में ऐसा नहीं था। इस मौके पर काफी संख्या में प्रभु प्रेमियों ने श्री कृष्ण लीलाओं का रसास्वादन किया।