भागवत कथा का श्रवण ही जीवन के उद्धार की सीढ़ी: ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री

भागवत कथा का श्रवण ही जीवन के उद्धार की सीढ़ी: ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री

छठे दिन की श्रीमद् भागवत कथा में श्री कृष्ण और रुक्मणी का हुआ विवाह

ऊना/सुशील पंडित : श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज की अध्यक्षता में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन की कथा शुरू होने से पूर्व बाबा बाल जी महाराज ने व्यास पीठ पर विराजमान वृंदावन से पधारे ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री व श्रीमद् भागवत कथा की पूजा अर्चना के साथ ही गणेश वंदना कर कथा छठे दिन में प्रवेश हुई। 

व्यासपीठ पर विराजमान ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री जी ने गोपी गीत, रास लीला, मथुरा गमन, कंस वध, रुक्मिणी विवाह की कथाएं सुनाईं. उन्होंने प्रत्येक पाठ की कथा सुनाते हुए कहा कि गोपी गीत भगवान कृष्ण को साक्षात् पाने का मन्त्र है भगवान कृष्ण को पाने के जितने भी तरीके हैं या होंगे उनमें से एक गोपी गीत है। रास लीला एक रात होती है जब वृन्दावन की गोपियां श्री कृष्ण की बांसुरी की आवाज़ सुनकर अपने घरों और परिवारों से रात भर कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिए जंगल में छिप जाती हैं।

कथा व्यास कृष्ण चंद्र शास्त्री जी ने कहा कि भगवान की महारास लीला इतनी दिव्य है कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास के द्वारा ही जीवात्मा-परमात्मा का मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है।भागवत पुराण में कहा गया है कि जो कोई भी ईमानदारी से रास लीला को सुनता है या उसका वर्णन करता है वह कृष्ण की शुद्ध प्रेम पूर्ण भक्ति को प्राप्त करता है।

कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उद्धव गोपी संवाद, उद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण वर्णन किया। बाबा बाल जी आश्रम के प्रांगण में रूक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कथा के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है जैसे मार्मिक प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभोर किया।