प्राइवेट अस्पतालों के हिमकेयर में करोड़ों रुपए फंसे

प्राइवेट अस्पतालों के हिमकेयर में करोड़ों रुपए फंसे
निजी डॉक्टरों ने कहा यदि सरकार ने फंड जारी नहीं किए तो स्कीम अधर में लटक सकती है
ऊना/सुशील पंडित: हिमकेयर योजना के तहत फ्री में इलाज तो हो रहा है लेकिन जो प्राइवेट अस्पताल यह इलाज कर रहे हैं उनके करोड़ों रुपए फंस गए हैं। उन्होंने मरीजों का कार्ड देखकर इलाज तो कर लिया लेकिन अब पेमेंट फंसने के चलते उनके हाथ खड़े हो रहे हैं। यह बात शनिवार को ऊना के प्राइवेट प्रैक्टिशनर एसोसिएशन की बैठक में निजी अस्पताल संचालकों ने उठाई। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने बताया कि यह स्कीम आम आदमी के लिए वरदान सिद्ध है। जो इलाज उन्हें सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पाता था और उन्हें हिमाचल के बाहर प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता था व जिसमें उनके लाखों रुपए खर्च हो जाते थे। वही इलाज अब हिमाचल के भीतर प्राइवेट अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत होना शुरू हो गया था।

मरीजों का कीमती समय और जीवन भर की जमा पूंजि भी बच रही थी। इस स्कीम के तहत मरीजों के इलाज होने पर सरकार द्वारा खर्चे का भुगतान किया जाता है। निजी चिकित्सकों की संस्था के प्रधान  डॉ. रितेश सोनी संचालक शिवम् आर्थो ने बताया कि अब निजी अस्पताल आर्थिक संकट में चले गए हैं। हम एक तरफ हिमकेयर कार्ड धारकों का इलाज करते चले गए लेकिन दूसरी ओर सरकार ने इलाज के पैसे रोक दिए। सभी प्राइवेट अस्पताल अब इस स्कीम के तहत इलाज करने में असमर्थ हो रहे हैं। यदि सरकार ने अस्पतालों का पिछला बकाया नहीं दिया तो यह स्कीम धराशाई हो जाएगी।
जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। फिलहाल हड्डियों से लेकर प्रत्येक छोटा बड़ा इलाज हिमकेयर योजना के तहत फ्री में हो रहा है। जनता के लिए वरदान स्कीम अस्पतालों के लिए अभिषाप सिद्ध न हो इसलिए सरकार को सेहत सेवाएं देने वाले अस्पतालों के बारे में भी सोचना चाहिए। पिछला भुगतान जल्द से जल्द हो ताकि गरीब व्यक्ति इलाज के आभाव में परेशान न हो। फंड समय पर जारी न हुए तो यह महत्वकांक्षी स्कीम अधर में लटक सकती है। बैठक में जिले के तमाम निजी अस्पतालों के संचालक मौजूद रहे।