श्रीमद्भागवत भागवत कथा के चौथे दिन मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव

श्रीमद्भागवत भागवत कथा के चौथे दिन मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव

संसार में कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं : स्वामी भागवत शरण

ऊना/ सुशील पंडित:श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास स्वामी भागवत शरण जी महाराज ने भगवान कृष्ण के जन्म एवं लीलाओं की कथा सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

स्वामी भागवत शरण जी ने कहा कि परमात्मा ही परम सत्य है। जब हमारी वृत्ति परमात्मा में लगेगी तो संसार गायब हो जाएगा। प्रश्न यह है कि परमात्मा संसार में घुले-मिले हैं तो संसार का नाश होने पर भी परमात्मा का नाश क्यों नहीं होता।

इसका उत्तर यही है कि भगवान संसार से जुड़े भी हैं और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है। और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता। इसी तरह संसार गायब होने पर भी परमात्मा गायब नहीं होते। संसार की कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं है।

कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की। इस घटना के पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार तत्व माखन है। उन्होंने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया।

उन्होंने बताया कि प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।

कथा व्यास ने बताया कि वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया।

भागवत कथा के चौथे दिन मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव

जिला ऊना के गांव बदोली में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। इसमें श्रद्धालु जमकर थिरके। इस मौके पर पूरा कथा परिसर भगवान श्री कृष्ण के जयकारों से गूंजायमान हो उठा। कथा के दौरान वृंदावन से पधारे स्वामी भागवत शरण जी ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे-कृष्णा, राधा-कृष्ण के उदघोष के साथ नृत्य करने लगे। कथा व्यास ने कृष्ण जन्मोत्सव के प्रसंग से श्रद्धालुओं  को भाव विभोर कर दिया