बड़ा झटकाः सरकार ने Apple iPhone और अन्य विदेश ब्रांड के फोन पर लगाया Ban
नई दिल्लीः चीन ने सरकारी एजेंसियों में काम करने वाले अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे एप्पल के आईफोन और अन्य विदेश ब्रांड वाले मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करें। सरकारी कर्मचारियों को दफ्तर में इन्हें लाने से भी मना कर दिया गया है। हाल के हफ्तों में अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के सीनियर अधिकारियों ने अपने जूनियर कर्मचारियों को चैट ग्रुप्स और मीटिंग में सरकार के इस आदेश की जानकारी दी है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की तरफ से ये कदम तब उठाया गया है, जब वह विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता को कम करने और साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। चीन नहीं चाहता है कि विदेशी ब्रांड के डिवाइस के जरिए किसी भी तरह की संवेदनशील जानकारी देश की सीमाओं के बाहर जाए। वह जानकारियों को सीमित करने के लिए काम कर रहा है। चीन को लगता है कि विदेशी ब्रांड के फोन के जरिए जासूसी की जा सकती है।
चीन से बड़ी कमाई करता है एप्पल
चीनी सरकार के जरिए उठाए गए कदम की वजह से चीन में मौजूद एप्पल समेत विदेशी ब्रांड्स को खासा नुकसान हो सकता है। एप्पल चीन में सबसे ज्यादा पॉपुलर मोबाइल फोन ब्रांड है। चीन एप्पल का सबसे बड़ा मार्केट भी है। कंपनी को होने वाले मुनाफे का 19 फीसदी हिस्सा चीन से ही हासिल होता है। ये स्पष्ट नहीं है कि चीन सरकार के आदेश को कितनी कड़ाई से लागू किया जा रहा है। एप्पल की तरफ से अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया गया है।
पहले से भी लागू हैं प्रतिबंध
चीन ने कुछ खास सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों के लिए पहले से ही आईफोन इस्तेमाल करने पर बैन लगाया हुआ है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है कि नए आदेश के तहत प्रतिबंध का दायरा बढ़ा दिया गया है। माना जा रहा है कि इस बार प्रतिबंध कड़ाई से लागू होंगे। चीनी सरकार का नया आदेश चीन और अमेरिका के बीच चल रही तनातनी को दिखा रहा है। टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स को लेकर अमेरिका और चीन लगातार एक-दूसरे पर प्रतिबंध लगाते रहे हैं।
हाल ही में अमेरिका ने हुआवेई पर लगाया था प्रतिबंध
दरअसल, अमेरिका ने हाल ही में हुआवेई पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। साथ ही अमेरिकी अधिकारियों को चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक को इस्तेमाल करने से मना किया है। माना जा रहा है कि चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में नया फरमान जारी किया है। दोनों ही मुल्कों को डाटा लीक होने का डर सताए रहता है। अमेरिका चीन पर लंबे समय से जासूसी का आरोप लगा चुका है। हालांकि, चीन अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा है।