कुटलैहड़ कांग्रेस को एक सूत्र में पिरोनेवाले विजय डोगरा का पार्टी में कद बढ़ा

कुटलैहड़ कांग्रेस को एक सूत्र में पिरोनेवाले विजय डोगरा का पार्टी में कद बढ़ा

- भुट्टो ने शिथिल पड़ चुकी कुटलैहड़ कांग्रेस में नई जान फूंकी

- मैं भी हूं दविंदर भुट्टो नारे ने जिताया कुटलैहड़ का किला

ऊना/सुशील पंडित: कुटलैहड़ में कांग्रेस पार्टी का 32 साल से चला आ रहा सूखा अब समाप्त हो चुका है। चुनाव से पहले टिकट आबंटन के समय पार्टी प्रवक्ता विजय डोगरा ने सभी कांग्रेसियों को ललकारते हुए कहा था कि यारो अपना सीना चौड़ा करके तो रखो। क्यों कहते हो कि 32 साल से हम हार ही रहे हैं। पार्टी जिसे टिकट देती है उसके साथ हो जाओ। अपना नेता जीतेगा तो हम उसे रोककर पूछ तो सकते हैं कि भाई हमारे काम क्यों नहीं हो रहे। जब हमारा नेता जीतेगा ही नहीं तो किसे अपनी फरियाद सुनाओगे।  विजय डोगरा का नाम हिमाचल कांग्रेस के सबसे प्रखर प्रवक्ताओं में शुमार है। पार्टी ने जैसे ही दविंदर भुट्टो का नाम फाइनल किया, उन्होंने संगठन के सभी नेताओं को मतभेद भुलाकर एकजुट होने का संदेश दिया। पार्टी कार्यकर्ता बताते हैं कि बूथ नंबर एक सुकड़याल से कोडरा के बूथ नंबर 118 तक सारे बूथों का दौरा करने वाले डोगरा ने कुटलैहड़ में चल रहे बिखराव  को समाप्त करने में अगर अहम भूमिका न निभाई होती तो परिणाम कुछ भी हो सकता था।
कार्यकर्ता बताते हैं कि पार्टी पिछले 4 चुनाव सिर्फ गुटबाजी के चलते हारती रही है। पार्टी को भाजपा नहीं बल्कि उसके अपने नेता ही हराते आए हैं। अगर पार्टी एकजुट रहती तो भाजपा 2003, 2007, 2012 और 2017 का चुनाव कभी नहीं जीत पाती। भाजपा को सदैव कांग्रेस की फूट ने जिताया है।
विजय डोगरा के साथ सेवा दल में सक्रिय भूमिका निभाने वाले दौलत राम बताते हैं कि उन्होंने सदैव पार्टी को सर्वोपरि और नेता को दूसरे नंबर पर रखने की शिक्षा दी है। सेवा दल कार्यकर्ताओं को एक ही युक्ति सिखाई जाती है जिसके पास पार्टी का चिन्ह है वही हमारा नेता है। दविंदर भुट्टो की टिकट फाइनल होने के बाद से विजय डोगरा ने ताबड़तोड़ सभाओं को संबोधित करना शुरू कर दिया था।
विजय डोगरा की ओर से हमें स्पष्ट निर्देश थे कि प्रत्येक कार्यकर्ता एक ही बात याद रखे कि वह स्वयं दविंदर भुट्टो है। कुटलैहड़ का समस्त कांग्रेसी कार्यकर्ता अगर दविंदर भुट्टो बनकर काम नहीं करता तो यह जीत मिलना मुश्किल थी। मगर इस बार पार्टी कार्यकर्ताओं को एकसूत्र में पिरोने का जो अनूठा कार्य विजय डोगरा ने किया है और जिस तरह का नेतृत्व दविंदर भुट्टो ने कैडर के समक्ष पेश किया है उससे अगले 32 साल तक कांग्रेस पार्टी को कुटलैहड़ में अब कोई नहीं हिला पाएगा।

न्यूज चैनल्स में डोगरा की डिमांड सबसे अधिक थी

चुनाव को करीब से देखने वाले दौलत राम बताते हैं कि विजय डोगरा कांग्रेस के उन चंद प्रवक्ताओं में से हैं जिनके लिए न्यूज चैनल वाले भी लाइन में लगे रहते थे। जैसे जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा था और नतीजे के दिन आने लगा था डोगरा एक एक दिन में कई चैनलों पर पार्टी का विजन समझाते और विपक्ष पर हमला करते देखे जा सकते थे। न्यूज चैनल वालों को विजय डोगरा का स्लॉट मिलना मुश्किल हो रहा था। क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मीडिया में जिस तरह से उन्होंने राष्ट्रीयता से भरे कांग्रेसी पक्ष को रखा विपक्षी नेता भी उनका लोहा मानने लगे हैं।

वह सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखते हैं। कांग्रेस की कुटलैहड़ विजय पर विजय डोगरा का योगदान हम सदैव याद रखेंगे। इस जीत में पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता सुरेंद्र ठाकुर, रणवीर राणा और विवेक मिंका ने भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने जिस तरह से भाजपा को चारों खाने चित किया है उसने पार्टी के भीतर आ चुकी दरारों को भरने का काम किया है। उनकी स्टीक बूथमैनेजमेंट और रणनीति ने जीत को सुनिश्चित कर दिया था। कुटलैहड़ के अच्छे दिन अब लौट आए हैं। 32 साल बाद कुटलैहड़ को दविंदर भुट्टो के तौर पर एक सशक्त नेतृत्व मिलने जा रहा है। कार्यकर्ताओं का जोश बताता है कि भुट्टों ने शिथिल पड़ चुकी कुटलैहड़ कांग्रेस में एक नई जान फूंक दी है।