सुक्खू  सरकाकर की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं : जगत राम

सुक्खू  सरकाकर की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं : जगत राम

ऊना/ सुशील पंडित :  सुक्खू  सरकाकर की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं, यह बात राष्ट्रीय इंटक के संगठन सचिव कामरेड जगत राम शर्मा ने एक प्रैस नोट में कही और बताया कि मंत्रीमंडल ने आपात काल में जेल जाने वालों को मिलने वाली सम्मान राशि बंद कर दी। जिससे  सरकार को करोड़ों रूपये की बचत होगी। जगत राम ने आगे बताया कि एमरजैंसी (आपातकाल) उस समय की सख्त जरूरत थी। स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण के आंदोलन ने लोकतंत्र की सभी व्यवस्थाएं बंद कर दी थी।

आज सरकार में वही संघ, स्वतंत्र, सिंडीगेट इंदिरा के विरूद्व खड़े हो गए थे। और फौज को बगावत करने के लिए भी उकसाया जाने लगा। सभी  फासिस्टवादी पार्टियां मिलकर पूंजीपतियों का नारा लगने लगी। साम्प्रदायिकता का जहर पूरे देश में घोला जा रहा था। एमरजैंसी के शुरूआती दिन बहुत अच्छे थे। मंहगाइ बहुत कम हुई। आम गरीबों को बहुत सुविधाएं दी गई। इंदिरा ने बीस सूत्रीय प्रोग्राम बनाकर भूमिहीनों को 10-10 कनाल  भूमि मुफ्त में दी गई। गरीबों के लिए मकान बनाकर देना यह सब इंदिरा युग की देन है।

सभी उद्योगों में जोर शोर से उत्पादन होने लगा। उस वक्त न कोइ छंटनी, न कोइ ठेकेदारी, न कोइ अनुबंध आदि का रिवाज नहीं था। केवल उद्योगों में सरकारी कानूनों का सख्ती से पालन किया जाता था। एमरजैंसी के दौरान कोइ भी सरकारी क्षेत्र बेचने की बात नहीं होती थी। सार्वजनिक क्षेत्रों और मजबूत करने के लिए कांग्रेस युग में ही प्रयत्न हुए। एमरजैंसी में बोनस एक्ट को इंदिरा ने रद कर दिया। उस के विरोध में पुरे देश में सत्याग्रह हुआ। उस आंदोलन में मुझे भी रोपड़ की जेल में जाना पड़ा। जगत राम ने कहा कि आज बेशक एमरजैंसी नहीं है परन्तु मोदी  सरकार ने श्रमिक कानूनों को तोड़ कर महंगाई और बेराजगारी का जबरदस्त दौर मोदी युग शुरू हुआ। ऐसा कभी नहीं हुआ। राष्ट्रीय इंटक ने 2024 में मोदी को सत्ता से बाहर करने में कमर कस ली है।