आरोपियों पर 60 से अधिक मामले दर्ज, ऑन डिमांड 100 से ज्यादा लग्जरी कारें कर चुके है चोरी
पंजाब सहित इन राज्यों में 40 % कम दामों में बेचते थे गाड़ियां
नोएडाः कोतवाली सेक्टर-24 और सीआरटी की टीम ने गाड़ियां चोरी करने वाले शातिर गिरोह के 5 सदस्यों को काबू किया है। गिरफ्तार आरोपियों से 17 गाड़ियां बरामद हुई है। DCP राम बदन सिंह ने बताया- CRT और थाना सेक्टर-24 पुलिस ने गिरोह के पांच लोगों को पकड़ा है। हैरानी की बात यह है कि उक्त चोर से डीसीपी रामबदन सिंह ने चोरी की वारदात को अंजाम देने का लाइव डैमो लिया। जिसे देखकर सभी अधिकारी खुद हैरान रह गए कि चोर ने बिना चाबी 4 मिनट में गाड़ी स्टार्ट कर दी। चोर ने पहले कार का शीशा खोला। उससे गेट खोला।
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— Encounter India (@Encounter_India) August 2, 2024
इसके बाद की-प्रोग्रामिंग पैड के जरिए कार के ECM (इलेक्ट्रॉनिक कंटेंट मैनेजमेंट) को रि-प्रोग्राम किया। वाईफाई से कनेक्ट करके पेयर बनाया और नया की-कोड जनरेट करके कार स्टार्ट की। डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया- अगर प्रोग्रामिंग फेल हो जाए तो ये नकली चाबी और अन्य तरीकों से लॉक तोड़ते थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान संत कबीर नगर निवासी अब्बास उर्फ इकराम, मथुरा निवासी कप्तान उर्फ भूरा, मेरठ निवासी आरिफ, आसिफ और राजस्थान निवासी अब्दुल रज्जाक शामिल है। इस गिरोह के बदमाश दिल्ली उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश से लेकर अन्य राज्यों में सक्रिय हैं और अंतरराज्यीय वाहन चोर हैं।
जांच में सामने आया है कि दिल्ली, यूपी में इन पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। ये लोग ऑन डिमांड 100 से ज्यादा लग्जरी कारें चोरी कर चुके हैं। चोरों ने पुलिस के सामने कैमरे पर 4 मिनट का डेमो दिखाया कि कैसे लग्जरी कारों का गेट खोलकर 4 मिनट में स्टार्ट कर लेते थे। महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा में 40 और 50% कम दामों में बेचते थे। कस्टमर को फर्जी आरसी बनाकर देते थे। इनके पास से 17 लग्जरी कारें बरामद की गई, जिसे ये एक से दो सप्ताह में बेचने वाले थे। लग्जरी कारों की चोरी के बाद गिरोह 10 से 15 लाख में और सामान्य कारों को तीन से पांच लाख रुपए में बेच देता है।
जिन गाड़ियों को बॉर्डर पार नहीं करा पाते थे, उनके पुरजे निकालकर बेच देते थे। बेचने के बाद मिली रकम का प्रयोग मौज मस्ती करने के लिए करते थे। गिरोह के सदस्य चोरी के वाहनों की नंबर प्लेट तुरंत बदल देते थे। बेचने से पहले ये कार को दो से तीन दिन के लिए पार्किंग में खड़ा करते थे। नंबर प्लेट होने से किसी को शक नहीं होता था। इसके बाद चोरी की गाड़ियों की फर्जी आरसी और नंबर प्लेट तैयार करने के बाद बॉर्डर पार कराते थे। इस दौरान यदि कहीं पुलिस चेकिंग हो जाए तो ये अपने आप को मैकेनिक बताकर वहां से निकल जाते थे। इनके पास कार से संबंधित सभी उपकरण होते थे। इसलिए इन पर ज्यादा शक नहीं होता था।
हाईवे पर टोल बूथ पर भी ये चकमा देने में माहिर थे। इनके सर्विलांस के लिए एक कार आगे चलती थी। टोल आने पर ये काउंटर पर कैश देकर आगे बढ़ते थे। अचानक पुलिस के आने पर आरोपी कार के खराब होने का बहाना बनाकर गाड़ी के नीचे लेटकर ठीक करने की एक्टिंग करने लग जाते थे। आरोपी चोरी के वाहनों को पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान में बेचते हैं। पुलिस गिरोह के बाकी के सदस्यों की तलाश कर रही है।