फिर भड़की हिंसा, पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, लगा कर्फ्यू

फिर भड़की हिंसा, पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, लगा कर्फ्यू

मणिपुरः इंफाल में एक बार फिर हिंसा भड़कने की खबर आ रही है। राजधानी इंफाल में भीड़ ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा और आंसू गैसे के गोले दागे गये। मणिपुर में बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फोउगाकचाओ इलाके में झड़पों के बाद सेना तथा त्वरित कार्रवाई बल (आरपीएफ) ने आंसू गैस के गोले छोड़े गए। जिसमें 17 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिला मजिस्ट्रेट ने कर्फ्यू में दी गई ढील को वापस ले लिया है और एहतियात के तौर पर आज पाबंदियां लागू की है। इंफाल घाटी में रात्रिकालीन कर्फ्यू पहले ही लागू है। बिष्णुपुर जिले में हजारों स्थानीय लोगों के सुरक्षा बलों की आवाजाही बाधित करने के लिए सड़कों पर उतरने के कारण सुबह से ही तनाव व्याप्त है। महिलाओं की अगुवाई में स्थानीय लोगों ने सेना तथा आरएएफ जवानों द्वारा लगाए अवरोधकों को पार करने की कोशिश की। वे अंत्येष्टि स्थल तुइबुओंग तक जाने की अनुमति मांग रहे थे।

इंफाल पश्चिम जिले में 3 अगस्त को सुबह 05:00 बजे से रात 08:00 बजे तक दी गई पूरी छूट को वापस ले लिया गया है। जिले में तत्काल प्रभाव से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है और इम्फाल पश्चिम जिले के सभी क्षेत्रों में आम लोगों के लिए उनके आवासों के बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध लागू किया गया है। स्वास्थ्य, बिजली, पीएचईडी, पेट्रोल पंप, स्कूल/कॉलेज और नगर पालिका जैसी आवश्यक सेवाओं से संबंधित व्यक्तियों की आवाजाही। प्रेस और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अदालतों के कामकाज और हवाई यात्रा के लिए लोगों को आवाजाही के लिए कर्फ्यू में छूट दी गयी है। इधर जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी समुदाय के लोगों के शव सामूहिक रूप से दफनाए जाने के निर्धारित समय से कुछ घंटों पहले मणिपुर हाई कोर्ट ने चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में प्रस्तावित अत्येष्टि स्थल को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। इस बीच, कुकी-जोमी समुदाय के संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने भी कहा कि वह गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम की योजना को स्थगित कर रहा है।

इससे पहले संगठन ने राज्य में जातीय हिंसा में मारे गए 35 लोगों के शव हाओलाई खोपी गांव में एक स्थल पर दफनाने की योजना बनाई थी, जिससे मणिपुर के कई जिलों में तनाव पैदा हो गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम वी मुरलीधरन और न्यायमूर्ति ए गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई की जरूरत के मद्देनजर सुबह छह बजे सुनवाई शुरू की और अंत्येष्टि के लिए निर्धारित भूमि को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकारों और उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसी तथा आम लोगों को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। मामले में आगे की सुनवाई नौ अगस्त को होगी। पीठ ने इस जमीन पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र होने से हिंसा एवं रक्तपात फिर से भड़कने एवं कानून-व्यवस्था की पहले से अस्थिर स्थिति के और गंभीर होने की आशंका पर भी गौर किया। आईटीएलएफ भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध के बाद अंत्येष्टि कार्यक्रम पांच दिन के लिए सशर्त स्थगित करने पर सहमत हो गया। संगठन के एक प्रवक्ता ने बताया कि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने भी यही अनुरोध किया है।


आईटीएलएफ ने कहा, हमने एक नए घटनाक्रम के कारण कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की। एमएचए (गृह मंत्रालय) ने हमसे अंत्येष्टि कार्यक्रम और पांच दिन स्थगित करने का अनुरोध किया और यदि हम इस आग्रह को स्वीकार करते हैं तो हमें उसी स्थान पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिल जाएगी तथा सरकार उसे इस कार्य के लिए वैध बना देगी। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही अनुरोध किया था। उसने कहा, विभिन्न पक्षकारों के साथ देर रात लंबे विचार-विमर्श के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विचार करेंगे, बशर्ते वह हमारी पांच मांगों पर लिखित में आश्वासन दें।