अमृतसर : दिवाली का त्योहार जहां देश-विदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं दिवाली के इस पवित्र त्योहार को मिट्टी के दीयों से भी रोशन किया जाता है और ये मिट्टी के दीये बड़ी मेहनत से तैयार किए जाते है। एक समय की बात है, अमृतसर में दिवाली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती थी और दुनिया भर से लोग दिवाली देखने के लिए यहां आते थे। अमृतसर स्थित घुमियारा मोहल्ला में 100 के करीब ऐसे परिवार है, जो मिट्टे की दीये तैयार करते है। परिवार एक दिन में करीब 50 हजार मिट्टी के दीये तैयार करते हैं और बड़ी मेहनत से तैयार किए जाते है।
कारीगरों ने बताया कि पिछली तीन पीढ़ियों से कुम्हार का काम कर रहे है। अमृतसर के कुम्हारों द्वारा बनाए गए दीपक हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, राजस्थान और हरियाणा सहित अन्य राज्यों में जाते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार में चाइनीज दीयों और लाइटों का असर इन मिट्टी के दीयों पर भी पड़ा है। जिस तरह से आधुनिक समय में इन मिट्टी के दीयों का निर्माण करने वाले परिवारों का चलन बढ़ा है उसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के आगमन के कारण भी इनका प्रचलन काफी बढ़ गया है बाजार में चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक दीयों की धूम से इन मिट्टी के दीयों के काम पर काफी असर पड़ा है।
चाइनीज उत्पादों की कीमत देशी उत्पादों से कम है। देखने में सुंदर व आकर्षक भी हैं। इससे लोगों में चाइनीज उत्पादों का क्रेज अधिक है। मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि वे दिवाली से कुछ महीने पहले से ही मिट्टी के दीये बनाना शुरू कर देते हैं और उन्हें पहले से ही ऑर्डर मिल जाते है। जिसके बाद पूरा परिवार दीये बनाने में लग जाता है। बाजारों में चाइनीज सामान आने के कारण उनके काम पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। कारीगरों का मानना है कि दिवाली के दौरान घरों में मिट्टी के दीयों का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि प्राचीन काल से ही घरों में मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया जाता रहा है।