बद्रीनाथः देहरादून के बद्रीनाथ क्षेत्र में कुबेर पर्वत से एक बार फिर ग्लेशियर टूटने की घटना सामने आई है। जहां टूटकर गिरा बर्फ़ीला हिस्सा कंचनगंगा नाले में समा गया। इससे घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ। घटना के समय सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में मौजूद थे। लोग इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करते देखे गए। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट मोड पर आ गई। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है और क्षेत्र में एहतियातन सतर्कता बरती जा रही है।
जानकारों की मानें तो बर्फीले पहाड़ों पर लगातार बदलते मौसम के कारण ऐसी घटनाएं अक्सर होती हैं। इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है। चमोली पुलिस ने भी लोगों से अपील की है कि ये सामान्य घटना है, इसके बारे में भ्रामक खबरें न फैलाएं। चारधाम यात्रा भी सुचारू रूप से चल रही है। वहीं उप जिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि ग्लेशियर और चट्टान का एक हिस्सा टूटकर गिरा, लेकिन अभी तक जान-माल की क्षति की कोई पुष्टि नहीं हुई है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। यह पहला मौका नहीं है जब इस क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने की घटना हुई हो।
इसी साल 28 फरवरी को भारत-चीन सीमा के पास माणा कैंप के नजदीक भारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें निर्माण कार्य में लगे 55 मजदूर बर्फ में दब गए थे।इससे पहले, 2021 में चमोली के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से बड़ी त्रासदी हुई थी। उस हादसे में ऋषिगंगा नदी में आई बाढ़ के कारण 206 लोगों की मौत हो गई थी। बार-बार हो रही ऐसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन को लेकर गहरी चिंता पैदा कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते तापमान और अनियोजित विकास इन आपदाओं को और बढ़ा रहे हैं।
