चंडीगढः पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए HDFC बैंक को डी-पैनल कर दिया है। बताया जा रहा हैकि सरकारी विभाग ने अब बैंक के साथ सभी संबंध खत्म कर दिए हैं। प्रदेश सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब हाल ही में सभी विभागों को उनके द्वारा अलॉट किए गए पैसे वापस करने के निर्देश दिए गए थे। माना जा रहा है कि HDFC बैंक ने यह रकम समय पर ट्रांसफर नहीं की। जिससे सरकार के वित्तीय लेन-देन प्रभावित हुए। इस गंभीर नोटिस को लेने के बाद, वित्त विभाग ने सभी विभागों के सचिवों, डायरेक्टर्स, पंचायतों, विकास अधिकारियों और बोर्ड कॉर्पोरेशनों को पत्र लिखा है और कहा है कि HDFC बैंक राज्य सरकार के समय पर वित्तीय लेन-देन को पूरा करने के लिए भेजे जा रहे आदेशों का पालन करने में सहयोग नहीं कर रहा है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए, HDFC बैंक के साथ किसी भी तरह का सरकारी कारोबार बनाए रखना मुश्किल है। इस कारण HDFC बैंक को डी-पैनल कर दिया गया है। अब इसके साथ कोई भी सरकारी लेन-देन नहीं किया जाना चाहिए। वित्त विभाग ने सभी विभागों को 23 बैंकों की सूची जारी की है। जिसमेंकहा है कि इनमें से किसी भी बैंक के साथ लेन-देन किया जा सकता है। इन बैंकों में सेंट्रल बैंक, पंजाब ग्रामीण बैंक, कैनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक, आईडीबीआई बैंक, कैपिटल स्माल फाइनेंस बैंक, एयू स्माल फाइनेंस बैंक, पंजाब स्टेट कोऑपरेटिव बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, फेडरल बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
इस साल केंद्र सरकार ने पंजाब की कर्ज सीमा में 16,000 करोड़ रुपये की कटौती की थी। राज्य सरकार को इस साल 48,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ा, जिसमें से 24,000 करोड़ रुपये पिछले कर्ज पर चुकाने पड़े। इसके अलावा, इस कर्ज का एक बड़ा हिस्सा पिछले कर्ज के मूलधन की अदायगी के लिए जाता है। ऐसी स्थिति में, 16,000 करोड़ रुपये की कटौती के बाद राज्य की वित्तीय हालत बिगड़ना तय है।
प्रदेश सरकार ने पहली तिमाही के अंतिम महीने में अपने जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए विभिन्न विभागों से दिए गए पैसे वापस मंगवा लिए हैं। इस संबंध में मुख्य सचिव की अगुवाई में 5 जून को एक बैठक भी हुई थी, जिसमें आदेश पारित किए गए थे कि सभी विभाग इस पैसे को फिलहाल जमा कराएं। यह बात सामने आई है कि जिन विभागों के पास HDFC बैंक में पैसा था, वे इसे खजाने में जमा कराने में ढील-मुलायम रवैया अपना रहे थे।