जो मोदी न कर पाए उसे योगी ने कर दिखाया: यति
ऊना/ सुशील पंडित : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में खाने पीने की चीजें बेचने वाले दुकानदारों को अपना नाम साफ साफ अक्षरों में दुकान, ढाबा या रेहड़ी के बाहर लिखने के आदेश दिए हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा रूट पर खाने-पीने की सभी दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने का जो आदेश जारी किया था जिसे बाद में पूरे राज्य में लागू कर दिया गया था। 22 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश के सभी दुकानदारों, ढाबों, फल विक्रेताओं और चाय की दुकानों ने प्रशासन के निर्देशानुसार अपने प्रतिष्ठानों या वेंडिंग ठेलों पर मालिकों या कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था।
दुकानदार की पहचान का यह मॉडल पिछले वर्षों में कांवड़ियों पर हुए हिंसक हमलों के बाद लागू किया गया है। अखिल भारतीय सन्त परिषद् के उत्तर भारत प्रभारी यति सत्यदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने इस आदेश का स्वागत करते हुए मीडिया में बयान जारी किया है कि जो कार्य मोदी न कर पाए उसे योगी ने करके दिखा दिया है। इस निर्देश का उद्देश्य धार्मिक यात्रा के दौरान भ्रम से बचना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतों का दोगलापन अब सामने आने लगा है। यति ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से भारत के मुसलमानों ने हलाल का निशान देखकर सामान खरीदना शुरू कर दिया है। यदि इस्लामिक ताकतों को खुद के लिए ‘हलाल’ सिस्टम चाहिए, तो कांवड़ रूट या पूरे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में शुरू हो रहे ‘पहचान’ सिस्टम से परेशानी का कारण क्या है।
असल में हिंदू त्यौहारों में एक विशेष समुदाय के लोग पहचान छिपाकर हिंदुओं को ऐसे फल सब्जी और खान पान की चीजें बेच रहे थे जिनमें सात्विक शुद्धता को जानबूझकर भंग किया जाता था। यति जी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में देश भर से एक विशेष समुदाय के लोगों के वीडियो वायरल हो रहे थे। जिसमें वे खाने पीने की चीजों में थूक, पेशाब और गटर का पानी मिलाते हुए देखे गए थे। अब हिंदू को स्वतंत्रता होगी कि वह सामान बेचने वाली की पहचान जानने के बाद ही खरीददारी कर सकेगा। इससे धार्मिक उत्सव में व्रत रखने वाले और हिंदू परंपराओं को मानने वालों की धार्मिक शुचिता भी सुनिश्चित हो पाएगी। संत समाज ने भी योगी के पहचान मॉडल की प्रशंसा की है।