दिव्यता, पवित्रता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है सदाशिव मंदिर
ऊना/सुशील पंडित : ऊना के शक्ति स्थल सदाशिव धौम्येश्वर महादेव मंदिर में सावन के महीने में शिव भक्तों का आना लगातार जारी है। महाभारत काल में पांडवों के पुरोहित धौम्य ऋषि की तपोस्थली पर स्थित सदाशिव मंदिर तलमेहड़ा की खरयालता पंचायत में स्थित है। इस मंदिर को ध्यूंसर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। देश विदेश के मानचित्र पर मंदिर की प्रसिद्धी में विशेष भूमिका निभाने वाले मंदिर ट्रस्ट के प्रधान प्रवीण शर्मा ने बताया कि यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है। यहां भगवान शिव स्वयंभू शिवलिंग के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। यहां सावन में शिव पूजा का विशेष महत्व है। सावन में मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। यहां हर समय लंगर की व्यवस्था रहती है।
इस मंदिर की प्रसिद्धी यहां मिलने वाले स्वादिष्ट लंगर प्रसाद के लिए भी बढ़ती जा रही है। मंदिर में साफ सफाई की व्यवस्था और यहां के रख रखाव के मॉडल को समझने के लिए दूसरे मंदिरों की कमेटियां और ट्रस्ट भी दौरा करते रहते हैं। प्रवीण बताते हैं कि जो एक बार इस मंदिर में शिव पूजा करता है वह सदा सदा के लिए सदाशिव की शरण में पहुंच जाता है। यहां न जाने कितने भटके हुए साधक पहुंचते हैं और मंदिर में रुककर तपस्या करते हैं। असंख्य साधकों ने यहां हुए दिव्य अनुभवों को भी साझा किया है। यहां एक साथ 5000 से अधिक लोगों के रहने की व्यवस्था भी है।
पहाड़ की चोटी पर स्थित इस मंदिर में तपस्या करने का भी विशेष महत्व है। दुकानदारों के शोर से दूर। यह मंदिर शिव भक्तों की ध्यानस्थली के रूप में भी विकसित हो रहा है। मंदिर ट्रस्ट ने इस बात का सदैव ख्याल रखा है कि मंदिर सिर्फ मंदिर ही बना रहे। किसी भी प्रकार की दुकानदारी या मार्केट से मंदिर की पवित्रता और शांति को भंग नहीं होने दिया जाता। यह हिमाचल के गिने चुने बड़े मंदिरों में से एक मंदिर है जिसने अपना धार्मिक स्वरूप संरक्षित करके रखा है। इस मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालु कई औलोकिक नजारों के भी साक्षी बनते हैं। प्रकृति की गोद में बसे इस मंदिर से बादलों और वनों के विहंग्म दृष्य मनुष्य की ऊर्जा को कई गुणा अधिक बढ़ा जाते हैं। यहां पहुंचने के लिए बंगाणा, बड़ूही, खुरवाईं से पहुंचा जा सकता है।