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Students को बड़ा झटकाः एक्शन में Canada सरकार, Immigration Policy में अहम बदलाव का ऐलान

ओटावा: कनाडा ने इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। आवास की कमी, सामाजिक बुनियादी ढांचे पर बोझ और इमिग्रेशन नीतियों पर बड़े वर्ग की नाराजगी के बीच यह बदलाव किए गए हैं। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं। फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा ऐतिहासिक रूप से आप्रवासियों के लिए खुलेपन के लिए जाना जाता रहा लेकिन हाल के दिनों में उसके रुख में बदलाव दिख रहा है।

कनाडा परमानेंट ही नहीं अस्थायी निवासियों की संख्या में भी अगले वर्षों में कमी करेगा। हालांकि इससे छोटे व्यवसाय मालिकों की अपने श्रमिकों को खोने की चिंता भी बढ़ रही है। आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।

बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है। भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा।

कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी। कनाडा के आव्रजन लक्ष्यों में कमी को ट्रूडो सरकार का एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। हालिया सर्वेक्षणों से पता चलता है कि करीब 60 प्रतिशत कनाडाई मानते हैं कि देश बहुत ज्यादा आप्रवासियों को स्वीकार कर रहा है। इस मुद्दे को विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने भी उठाया है। ऐसे में ट्रूडो ने अगले चुनाव में अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए ये कदम उठाए हैं।

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