जालंधर, ENS: रुस-यूक्रेन में युद्ध मार्च 2022 में शुरू हुआ और यह अभी तक जारी है। यूक्रेन की क्रांति के बाद, रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और उसे अपने कब्जे में ले लिया। इसने तब रूसी अर्धसैनिक बलों का समर्थन किया जिन्होंने यूक्रेन की सेना के खिलाफ पूर्वी डोनबास क्षेत्र में युद्ध शुरू किया। वहीं दोनों देशों के युद्ध में अभी भी कई भारतीय फंसे हुए है। मिली जानकारी के अनुसार उन्हें धोखे से आर्मी में 3 महीने की ट्रेनिंग करवाई जा रही है और युद्ध में फ्रंट लाइन में भेजा जा रहा है।
इस मामले को लेकर रशिया-यूक्रेन में फंसे भारतीयों सहित पंजाबियों ने भारतीय एबेंसी से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि यहां उन्हें धोखे से आर्मी में भेजा जा रहा है और युद्ध के लिए फ्रंट लाइन में रखा जा रहा है। ऐसे में वीडियो जारी करते हुए कहा कि शायद यह उनकी आखिरी वीडियो होगी। बताया जा रहा हैकि एजेंटो द्वारा भारतीयों को नौकरी के बहाने वहां बुलाकर आर्मी में भर्ती करवाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार ई-पास के जरिए भारतीयों सहित पंजाबियों को यूक्रेन-रशिया ले जाया जाता है। जैसे ही भारतीय यूक्रेन-रशिया पहुंचते है तो उनके पासपोर्ट को विजिट टू वर्क परमिट वीजा में कनवर्ट कर दिया जाता है।
उसके बाद एजेंट वहां से गायब हो जाते है और उक्त भारतीयों को आर्मी में 3 महीने की ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाता है। पीड़ितो ने वीडियो जारी करते हुए कहा कि उन्हें वहां पर सही से ट्रेनिंग भी नहीं दी जाती और उसके बाद उन्हें फ्रंट लाइन में युद्ध में खड़ा कर दिया जाता है। वीडियो में लोग गुहार लगाते हुए कह रहे हैकि वह खतरे में बैठे हुए हैं और अगर कोई जानकार है तो वह उन्हें यहां से निकला दें, उनके साथ धोखा हुआ है। वहीं अन्य वीडियों में व्यक्तियों ने कहा कि वह यूक्रेन में फंसे हुए है। ऐसे में कुछ रशिया में और कुछ यूक्रेन में फंसे हुए है। कोई भारतीय एबेंसी से बात करके उन्हें यहां से निकलवा लें। यहां पर कई और भारतीय भी फंसे हुए है। अन्य व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने यहां आर्मी से बात की तो उन्होंने कहा कि यहां उनकी कोई नहीं सुनेंगा।
वह अभी अपने घर में बात कर लें, क्योंकि इससे आगे युद्ध स्तर पर जाने के समय नेट की सुविधा नहीं होगी। ऐसे में व्यक्ति ने कहा कि शायद यह उनकी आखिरी वीडियो हो सकती है। बता दें कि अगस्त माह में राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के प्रयासों से रूस और यूक्रेन के युद्ध से 8 महीने बाद लौटे उत्तर प्रदेश के युवा राकेश यादव ने कई खुलासे किए थे। राकेश ने बताया था कि वहां यूक्रेन के ड्रोन हमले में उनका एक साथी मारा गया था। उसकी जान इसलिए बच गई, क्योंकि ड्रोन देखते ही वह वहां बने बंकर में कूद गया। इसी तरह एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 17 जून 2024 को वहां उनके एक सहकर्मी की ग्रेनेड विस्फोट से मौत हो गई।
उन्होंने कहा कि आश्चर्य इस बात का था कि रूसी सेना में शहीद हुए उनके साथी की मौत की खबर उनके परिवार को 6 महीने बाद रूसी अधिकारियों ने दी। रूस से लौटे राकेश यादव ने बताया कि उन्हें और उनके साथ करीब 5 अन्य साथियों को एजेंट ने 8 महीने पहले होम गार्ड की नौकरी के लिए वहां बुलाया था। लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे, उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती करा दिया गया और उनसे रूसी भाषा में एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करवाए गए। बार-बार मना करने पर वहां उसकी पिटाई की गई। उन्होंने बताया कि 15 दिनों की हथियार ट्रेनिंग के बाद उन्हें रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में उतार दिया गया। उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान वहां हालात काफी बदतर थे। उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में कई बार गोलीबारी और बम विस्फोट हुए, वहां बम विस्फोट में उनका हाथ भी जख्मी हो गया था।
युद्ध के मैदान में बमबारी के दौरान जब राकेश यादव ने कई बार मौत की आंखों में देखा तो वह भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि एक बार तो उन्हें लगा कि सब कुछ खत्म हो गया है और वह कभी वापिस नहीं जा पाएंगे। वहां के हालात देखकर उन्होंने एक बार तो वहां खुद को मारने की भी कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि वहां हमेशा मौत का खतरा बना रहता है। नम आंखों से उन्होंने भारत सरकार और संत सीचेवाल का सच्चे दिल से शुक्रिया अदा किया। जिनके सहयोग से वह फिर से अपने परिवार के पास सुरक्षित पहुंच पाए। राकेश यादव ने कहा कि उनके जबरन बैंक में एजेंटों द्वारा खाते खोले गए थे। जिनके पिन कोड भी उनके एजेंटों के पास थे। उन्होंने बताया कि एजेंटों ने उनके खाते से करीब 45 लाख रुपए निकाल लिए, जो उन्हें सेना में जीवनयापन वेतन और चोट के दौरान सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे के रूप में मिले थे। उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ उनके साथ ही नहीं बल्कि सेना में काम करने वाले सभी भारतीयों के साथ एजेंटों ने किया है।

