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बल्क ड्रग पार्क परियोजना राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट, इसके कार्यान्वयन में किया जा रहा सभी नियमों एवं मानकों का कठोरता से पालन – डीसी जतिन लाल

ऊना/सुशील पंडित: उपायुक्त जतिन लाल ने कहा है कि ऊना में बन रही 2 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली बल्क ड्रग पार्क परियोजना राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट है और जिला प्रशासन इसके निर्माण में सभी नियमों एवं मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कर रहा है।

बुधवार को ऊना में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि हमारा पूरा ध्यान इस बात पर है कि विकास और पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बना रहे। परियोजना के हर पहलू में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा केंद्र और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। उपायुक्त ने बताया कि यह परियोजना मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की दूरदर्शी सोच और विकासशील दृष्टिकोण के अनुरूप आकार ले रही है। उन्होंने कहा कि देश में केवल तीन बल्क ड्रग पार्क परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं, जिनमें से एक ऊना में बन रही है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है। इस परियोजना से 8 से 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

उन्होंने जिलावासियों से अपील की कि वे परियोजना को लेकर फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचारों पर विश्वास न करें। प्रशासन हर पहलू का गंभीरता से अध्ययन कर रहा है। भू-जल पुनर्भरण, प्रदूषण नियंत्रण, वनीकरण और वन्य जीव संरक्षण के लिए समुचित योजनाएं तैयार की गई हैं और एक प्रोएक्टिव दृष्टिकोण के साथ इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।
इस अवसर पर उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान, जल शक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता नरेश धीमान, डीएफओ सुनील राणा, विद्युत बोर्ड के अधीक्षण अभियंता बलराज सांगर तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण धीमान उपस्थित रहे और अपने विभागों से जुड़ी जानकारियां साझा कीं।

पर्यावरणीय स्वीकृति के मामले एडवांस स्टेज पर
संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान ने बताया कि परियोजना के भीतरी निर्माण को लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति के मामले एडवांस स्टेज में हैं। स्वीकृति मिलते ही कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। तब तक बाहरी संरचनाओं से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता से आगे बढ़ाया जा रहा है। सड़क, बिजली और पानी से जुड़े अधिकतर कार्य तीव्र गति से प्रगति पर हैं। पंजुआणा से बल्क ड्रग पार्क के प्रशासनिक खंड तक सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। जलापूर्ति से जुड़े लगभग 80 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रख भूजल संरक्षण के प्रोएक्टिव कदम
जल शक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता नरेश धीमान ने बताया कि केंद्रीय जल बोर्ड के अनुसार परियोजना क्षेत्र में भूजल स्तर ‘सेफ’ श्रेणी में है और वर्तमान जल दोहन 56 प्रतिशत है। फिर भी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तालाबों की रीचार्जिंग तथा नए जल-संग्रहण ढांचों के निर्माण को लेकर अभी से का किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भविष्य के लिए 170 करोड़ रुपये की जलापूर्ति योजना की डीपीआर तैयार की गई है, जिसके तहत भाखड़ा डैम से पानी लाया जाएगा। परियोजना के लिए प्रारंभ में 15 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहेगी और भविष्य में यह 50 एमएलडी तक बढ़ सकती है, जिसकी व्यवस्था इस योजना में की गई है।

उन्होंने बताया कि 15 एमएलडी की जलापूर्ति योजना के लिए 43.85 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जिसमें से अब तक 36.05 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस योजना के अंतर्गत 15 ट्यूबवेल प्रस्तावित हैं, जिनमें से 12 की स्थापना हो चुकी है। परियोजना में जल शक्ति विभाग के तीन मुख्य घटक शामिल हैं, जिन पर कुल 68.49 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं।

ग्रीन बेल्ट को प्राथमिकता, एक पेड़ के बदले लगाए जाएंगे 10 पेड़
डीएफओ सुशील राणा ने बताया कि बल्क ड्रग पार्क कुल 568 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, जिस पर वर्तमान में 52,858 छोटे पेड़ विद्यमान हैं। इसमें औसतन 93 पेड़ प्रति हेक्टेयर के हिसाब से वृक्ष हैं। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र ओपन वेजिटेशन जोन की श्रेणी में आता है, जिसमें अधिकतर पेड़ शीशम, खैर और कीकर प्रजातियों के हैं, जिनकी संख्या लगभग 48,000 है।

उन्होंने कहा कि परियोजना का 33 प्रतिशत क्षेत्र ग्रीन बेल्ट के रूप में संरक्षित किया गया है। इसमें दो प्रमुख स्ट्रीम्स के दोनों ओर 50-50 मीटर तथा छोटी स्ट्रीम्स के दोनों ओर 15-15 मीटर चौड़ी हरित पट्टी विकसित की जाएगी। साथ ही, पूरे औद्योगिक परिसर की परिधि में 15 मीटर चौड़ी ग्रीन बेल्ट भी स्थापित की जाएगी।

डीएफओ ने स्पष्ट किया कि एक भी पेड़ की कटाई होने पर उसके स्थान पर समान प्रजाति के 10 नए पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के साथ हरित क्षेत्र में वृद्धि सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि पंजुआना में पहले लगभग 6 हजार पेड़ों के कटान की योजना थी, लेकिन पर्यावरणीय सह अस्तित्व को प्राथमिकता देते हुए अब केवल 817 छोटे वृक्ष ही काटे जाएंगे।

पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण धीमान ने बताया कि परियोजना में तरल, ठोस, बायोमेडिकल और ई-वेस्ट प्रबंधन के लिए आवश्यक ट्रीटमेंट प्लांट तथा आधारभूत सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

बिजली आपूर्ति की पूरी तैयारी
विद्युत बोर्ड के अधीक्षण अभियंता बलराज सांगर ने बताया कि परियोजना के लिए नए ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए जा रहे हैं और विद्युत आपूर्ति के सभी निर्माण कार्य तेज़ी से प्रगति पर हैं।

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