अमृतसरः युद्ध नशों के विरुद्ध के संकल्प के तहत पंजाब के सीमावर्ती जिलों में पैदल मार्च करने के बाद अमृतसर में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने तीसरे दिन भी पैदल मार्च की अगुवाई की। उन्होंने कहा कि पंजाब जो अपनी देशभक्ति, शहीदों और योद्धाओं की बलिदानों के लिए जाना जाता है, लेकिन दुश्मन देश से नशा तस्करी जारी है। इसके अलावा, गांवों और शहरों में जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय सुरक्षा समितियां भी इस तस्करी को रोकने के लिए बहुत चौकसी से काम कर रही हैं, जो कि सराहना की योग्य हैं।
नशा इस समय केवल पंजाब की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश को अपने गिरफ्त में ले रहा है। इसीलिए पंजाब सरकार द्वारा नशा मुक्त पंजाब बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और यहां नशे की तस्करी आसानी से हो जाती है, इसलिए दुश्मन इसका फायदा उठाते हुए सप्लाई कर रहे हैं, जिसे रोकने के लिए पहले भी सीमा पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाए गए थे और अब और बढ़ाए जा रहे हैं। इसके अलावा, पंजाब सरकार भी एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने के लिए प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि मार्च अमृतसर सर्किट हाउस से शुरू होकर कस्टम चौक होते हुए सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल मॉलरोड तक और फिर नॉल्टी चौक से होते कंपनी बाग में महाराजा रणजीत सिंह के स्टैच्यू के नजदीक तक निकाल गया। जिला प्रशासन द्वारा गांवों में खेल स्टेडियम बनाने का बीड़ा उठाया गया है और जिस भी पंचायत को खेल मैदान बनाने के लिए कोई सहायता चाहिए, वह डिप्टी कमिश्नर कार्यालय से संपर्क कर सकती है। इसके अलावा बच्चों को गुरुद्वारों और मंदिरों से जोड़ना भी नशा मुक्ति के लिए एक बड़ा प्रयास हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे समय सभी बच्चे अपने धार्मिक रिवाजों के अनुसार गुरुद्वारों, मंदिरों, मस्जिदों में जाते थे। जहां उनकी धार्मिक तृप्ति तो होती ही थी, साथ ही सामाजिक बुराईयों से बचने की प्रेरणा भी मिलती थी। लेकिन अब बच्चे मोबाइलों तक सीमित रह गए हैं। माता-पिता भी उन्हें धार्मिक स्थलों से जोड़ने की कोशिश नहीं करते, इसके अलावा बच्चों को खेल मैदानों तक भी भेजने की हिम्मत नहीं करते, जो कि करना बहुत जरूरी है।