पठानकोटः जिला पठानकोट जो अपने अंदर कई ऐतिहासिक स्थलों को छुपाए हुए है फिर चाहे वो रातो रात बना हुआ जंगल हो या फिर 5500 साल पुरानी पांडव गुफाएं। इन्हीं ऐतिहासिक स्थलों में से एक है गढ़ वाली माता का मंदिर जो अपने अंदर 350 साल का इतिहास छुपाए हुए है। आज दूर-दूर से लोग इस मंदिर में पूजा करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसे में नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने वाले शहीद राम सिंह पठानिया भी इसी मंदिर में आकर माता काली की पूजा करते थे। यह शहीद वही है जिसने बिना किसी हथियार के सिर्फ पानी पीकर एक गढ़वी से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर अंग्रेजी सेना के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था और आज भी इस शहीद को याद किया जाता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर करीब 350 साल पुराना है और शुरू से ही इस मंदिर का बहुत मान-सम्मान है। दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में देवी, जो कि देवी काली का प्रतीक है, के दर्शन करने और अपनी मनोकामनाएं मांगने आते हैं। इस मंदिर में जहां श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है, वहीं अन्य लोगों के अलावा अंग्रेजों के खिलाफ डटकर लड़ने वाले शहीद राम सिंह पठानिया भी इस मंदिर में माथा टेकने आते हैं। जहां आम दिनों में लोग यहां माथा टेकने आते हैं, वहीं नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस मंदिर में पहुंचकर देवी के दरबार में माथा टेकते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।