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पंजाबः 5वें दिन रेलवे ट्रैक पर डटे किसान, राहगीर परेशान,135 ट्रेनें हुई प्रभावित

लुधियानाः किसानों ने अपनी मांगो को लेकर एक बार फिर से आंदोलन जारी कर दिया हुआ है। लगातार 5वें दिन से किसान शंभू रेलवे स्टेशन ट्रैक पर डटे हुए है। किसानों द्वारा रेलवे ट्रैक पर बैठने से राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान आंदोलन से 135 ट्रेन प्रभावित हुई है, जिनमें से 63 ट्रेनों को कैंसिल किया गया 31 ट्रेनों को डायवर्ट किया गया और 44 ट्रेनों को टर्मिनेट किया गया है। हालांकि रेलवे स्टेशन पर आज इतनी भीड़ नहीं रही ।क्योंकि लोगों को मालूम है की ट्रेन सही ढंग से नहीं चल रही है, इसलिए भारी संख्या में यात्री रेलवे स्टेशन नहीं पहुंचे। जिन रेल यात्रियों का टिकट पहले से कंफर्म था और यह जाना जरूरी था इसलिए वह रेलवे स्टेशन पहुंचे फिर भी यहां रूटिंग से ज्यादा भीड़ देखी गई।

किसान आंदोलन से लुधियाना अंबाला रेल खंड बंद पड़ा हुआ है और रेलवे अपनी ट्रेनों को डाइवर्ट करके गिल रेल ट्रैक से और लुधियाना भाया साहनेवाल से चंडीगढ़ होकर ट्रेनों को भेज रही है। युवा किसान नेता नवदीप सिंह जलबेहरा समिति जेल में बंद किसानों को रिहाई के लिए किसानों द्वारा यह आंदोलन चलाया जा रहा है। किसानों की डिमांड है कि जब तक जेल में बंद साथियों को नहीं छोड़ा जाता तब तक अनिश्चितकाल के लिए ट्रेन रुको आंदोलन जारी रहेगा। इस मौके पर यात्रियों बसंत कुमार दिलीप कुमार बजरंगी का कहना है कि किसानों को अपनी मांगों को रेल मंत्रालय के पास पहुंचने के लिए दूसरा तरीका अपनाना चाहिए ट्रेन रोककर आम आदमी को परेशान करना उचित नहीं है।

यात्री ने बताया कि इस तरह की व्यवस्था से देश का माहौल खराब हो रहा है ऐसे में सरकार नहीं किस बदनाम हो रहे हैं। किसानों को चाहिए कि अपनी मांगों के लिए सेक्रेटेरिएट या विधानसभा या लोकसभा के समक्ष प्रदर्शन करें जो उनकी लोकतांत्रिक अधिकार है रेल और बस को रोकना उनका अधिकार नहीं है इसे रोकना लोकतंत्र के खिलाफ है। बंसीलाल प्रेमी ने कहा कि ट्रेन और बस को रोकना कानूनी अपराध है सरकार को चाहिए कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें किसान आंदोलन नहीं कर रहे हैं बल्कि लोगों का काम खराब कर रहे हैं जिससे लोग संकट में है। किसानों को चाहिए कि अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण कदम उठाए ताकि लोगों को परेशानी ना हो।

लुधियाना में किसान आंदोलन से ट्रेन इतनी प्रभावित हुई की काफी लोगों का मुख्य काम बिगड़ गया। यह बात जीआरपी के चेकिंग के दौरान बताते हुए कहा कि मधेपुरा बिहार जाने वाला विक्रांत यादव का कहना है कि उनके घर में बहन की शादी थी और उन्हें घर जाना जरूरी था वह उसी हिसाब से टिकट कटा रखा था की शादी से एक दिन पहले घर पहुंचे। जिस दिन मुझे घर जाना था उसे दिन की ट्रेन कैंसिल हो गई जिसके चलते उनका सफर आधार में लटक कर रह गया। काफी प्रयास के बाद भी वह समय से घर नहीं पहुंच पाया घर से बार-बार फोन आने के बावजूद रन के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचा। उन्होंने कहा कि आज 21 तारीख को वह जनरल ट्रेन से घर निकलेंगे तो परसों पहुंचेंगे तब तक उनकी बहन की शादी हो जाएगी जिसे जिंदगी भर पछताना पड़ेगा कि वह अपनी बहन के शादी में नहीं पहुंच पाया। विक्रांत ने कहा कि वह होजरी फैक्ट्री में काम करता है जिससे मलिक ने भी उन्हें समय से छुट्टी दे दिया लेकिन ट्रेन कैंसिल होने के कारण उनका प्लानिंग चौपट हो गया और वह अपनी बहन के शादी में सरिक होने के लिए गांव नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि शादी के 1 दिन बाद और घर पहुंचेंगे तो उन्हें पछताना ही पड़ेगा। उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन से काफी लोगों को मुश्किल आई है।

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