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पंजाब भर के कॉलेजों को ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने बंद रखने का किया ऐलान, जाने मामला 

अमृतसरः नॉन-गवर्नमेंट एडेड कॉलेजेज मैनेजमेंट फेडरेशन (एनजीसीएमएफ), प्रिंसिपल्स एसोसिएशन, पंजाब चंडीगढ़ कॉलेज टीचर्स यूनियन (पीसीसीटीयू) और एसोसिएशन ऑफ अनएडेड प्राइवेट कॉलेजेज ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) ने 18 जनवरी को सभी कॉलेजों को ‘बंद’ करने की घोषणा की है। जिससे 200 से अधिक शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। इस संबंध में सभी जिला मुख्यालयों में डिप्टी कमिश्नरों को मांग पत्र दे दिए गए हैं। फैडरेशन के अध्यक्ष राजिंदर मोहन सिंह छीना ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उक्त संगठनों के समूह की संयुक्त कार्रवाई कमेटी की बैठक हाल ही में गुरु नानक खालसा कॉलेज फॉर वूमेन लुधियाना में हुई। जिसमें 18 जनवरी को सभी कॉलेजों को बंद रखने का निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद मुद्दों पर विचार नहीं किया जा रहा है, वह कुछ समय के लिए हड़ताल पर जाएंगे, जिस दौरान प्रभावित बच्चों की शिक्षा के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी। राजिंदरमोहन छीना ने एक बातचीत में कहा कि पंजाब में केंद्रीकृत कॉलेज प्रवेश पोर्टल और सेवानिवृत्ति की आयु 58 साल घटाने सहित अध्यापकों के सेवा नियमों से छेड़छाड़ करने संबंधी लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। जेएसी व गैर ऐडिड कालेजों की संयुक्त बैठक में उक्त मुद्दे पर गहन चर्चा हुई। मान सरकार कालेजों की जायज मांगों को नहीं सुन रही है, इसलिए उक्त दिन सभी कालेज बंद रहेंगे।  मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री ने राज्य में उच्च शिक्षा के सामने आने वाले मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक तक का समय नहीं दिया है।

इस संबंध में सरकार से अपील की हैं कि पंजाब के कॉलेजों की समस्याओं का समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्रीकृत पोर्टल को लागू करने का निर्णय सरकार द्वारा बिना किसी सहमति के लिया गया है और चंडीगढ़ में उच्च शिक्षा सचिव के साथ बैठक के दौरान उठाई गई कठिनाइयों को नजरअंदाज करते हुए उक्त एकतरफा आदेश जारी किए गए हैं, जिसे माध्यम से लागू किया जा रहा है। पंजाब के मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी द्वारा लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हितधारकों के हितों पर विचार किए बिना लिया जा रहा है और इससे राज्य के निजी यूनिवर्सिटीस को लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम उचित नहीं है क्योंकि इससे कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों को परेशानी होगी। बीएड और लॉ कॉलेजों में पहले भी इस तरह के कदम बुरी तरह विफल हो चुके हैं। बैठक के दौरान महाविद्यालयों में पूर्ण अनुदान सहायता योजना की बहाली का मुद्दा भी उठाया गया और सभी प्रतिनिधियों ने आने वाले समय में सरकार के खिलाफ मिलकर संघर्ष करने का संकल्प लिया। उक्त मुद्दे के समाधान के संबंध में विरोधी पार्टी के नेता अश्विनी शर्मा,  प्रताप सिंह बाजवा और सुखबीर सिंह बादल से चर्चा की जाएगी। 

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