नगर निगम तथा सब रजिस्ट्रार दफ्तर में हुआ गठजोड़...

नगर निगम तथा सब रजिस्ट्रार दफ्तर में हुआ गठजोड़...

नगर निगम तथा सब रजिस्ट्रार दफ्तर में हुआ गठजोड़...

NOC के बदले अब क्लासिफकेशन की तर्ज पर हो रही प्लाटों की रजिस्ट्रियां

सरकार का खजाना रहेगा खाली

जालंधर/अनिल/वरुण। पंजाब सरकार की ओर से अवैध कालोनियों में प्लाटों की बिना एनओसी के रजिस्ट्री दर्ज करने पर सख्ती से रोक लगाने का नगर निगम के बिल्डिंग विभाग ने जुगाड़ निकाल लिया है जिससे हररोज सरकार को लाखों रुपयों का रगड़ा लगाया जा रहा है। यह नैक्सिस नगर निगम के बिल्डिंग विभाग तथा सब रजिस्ट्रार दफ्तर के बीच काम कर रहा है। जिस प्लाट की एनओसी नहीं होती उस प्लाट को क्लास्फिकेशन जारी करवा कर रजिस्ट्री दर्ज करवाई जा रही है जबकि अवैध कालोनी में प्लाट की एनओसी हासिल करने के लिए 487 रुपये प्रति गज यानि एक मरले के करीब 11 हजार रुपये तथा कमर्शियल प्लाट की एनओसी हासिल करने के लिए 900 रुपये प्रति गज यानि एक मरले का करीब 20 हजार 700 रुपये सरकारी फीस है। पंजाब सरकार द्वारा 13 जून 2022 को जारी आदेशों के अनुसार 9 अगस्त 1995 से पहले किसी भी प्राप्टी या प्लाट की रजिस्ट्री दिखाने के बाद एनओसी हासिल करने की जरुरत नहीं और इसके बाद शहरी तथा देहाती क्षेत्र की अबादी में काटी गई सभी अवैध कालोनियों में प्लाट की रजिस्ट्री  संबधित विभाग से एनओसी हासिल करने के बाद ही की जानी थी इस आदेश के बाद पूरे सूबे में सब रजिस्ट्रार दफ्तर लगभग सूने हो गए थे मगर सरकार के इन आदेशों की धज्जियां उड़ाने के लिए नया जुगाड़ तैयार कर लिया गया है।

पंजाब सरकार की ओर से जारी आदेशों के अनुसार जिला जालन्धर के शहरी क्षेत्र के आधीन प्लाट की एनओसी जारी करने के लिए नगर निगम कमिशनर को कंपीटैंट अथारिटी बनाया गया था इसी तरह देहाती क्षेत्र में काटी गई अवैध कालोनियों के प्लाटों की एनओसी जारी करने के लिए एडिशनल चीफ एडमिनस्ट्रेशन को कंपीटैंट अथारिटी बनाया गया था मगर नगर निगम में इन आदेशों को दरकिनार कर बिल्डिंग विभाग के एटीपी, एमटीपी, एसटीपी, सुपरीडैंट अपने स्तर पर ही फुल्लियां पतासों की तरह क्लासिफिकेशन जारी कर रहे हैं। जानकारी अनुसार नगर निगम से किसी भी अवैध कालोनी के प्लाट की क्लासिफिकेशन हासिल करना टेड़ी खीर है अगर आप इसके लिए 10 हजार रुपये ढीले करें तो यह क्लासिफिकेशन महज 10 मिंट में जारी कर दी जाती है जिसके आधार पर सब रजिस्ट्रार दफ्तर में कई रजिस्ट्रियां तक दर्ज हो गई। जबकि प्रत्येक मरले की एनओसी जारी करने के एवज में सरकार के खजाने में करीब 11 हजार रुपये जमा होने थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस गौरखधंधे में हररोज पंजाब सरकार को 10 लाख का रगड़ा लगाया जा रहा है।

मेरे ध्यान में मामला आया है मगर बिना एनओसी के किसी भी प्राप्टी की रजिस्ट्री दर्ज नहीं की जा रही जिसका रकबा 09 अगस्त 1995 के बाद नहीं बदला। इसके अलावा जो प्लाटों की क्लासिफकेशन जारी की जा रही है उसके लिए कमिशनर नगर निगम जालन्धर को पत्र भेजा गया गया है तथा ज्वाब मांगा गया है।

                                                                                                                                               - कुलवंत सिंह
                                                                                                                                                  सब रजिस्ट्रार-1