चंडीगढ़ः दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (7 नवंबर) सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस कौल ने पंजाब, हरियाणा, UP और राजस्थान सरकारों को सख्त आदेश दिया है कि पराली जलाना तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने कहा- प्रदूषण को देखते हुए हमारा सब्र खत्म हो रहा है, अगर हमने एक्शन लिया तो हमारा बुलडोजर रुकेगा नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि नगर निगम शहर का ठोस कचरा खुले में न जलाए, क्योंकि दिल्ली को हर साल प्रदूषण से जूझने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।
जस्टिस कौल ने केंद्र से कहा कि वह किसानों को सब्सिडी देने और दूसरी फसलों की पैदावार के लिए प्रेरित करे, ताकि ठंड से पहले पराली जलाना बंद हो सके। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।यह फैसला दिल्ली में वायु प्रदूषण के लगातार खतरनाक स्तर को कम करने के लिहाज से अहम है। यहां की हवा पिछले 8 दिनों से बेहद खराब है। सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 470 था। 31 अक्टूबर को कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को निर्देश दिया था कि वे एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उन्होंने वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए क्या कदम उठाए हैं। साथ ही कहा था कि कोर्ट इस बात की निगरानी करेगा कि मामले में क्या हो रहा है।
कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग दिल्ली एनसीआर रीजन (CAQM) की रिपोर्ट देखने के बाद चार्ट के रूप में और डीटेल्ड रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। साथ ही दिल्ली एनसीआर रीजन के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से था कहा कि वह प्रदूषण की समस्या शुरू होने का ड्यूरेशन और AQI के साथ खेतों में पराली जलाने की जमीनी स्थिति बताते हुए सारी चीजें चार्ट के रूप में पेश करे। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के आकलन के लिए जिला स्तर पर एक स्थायी विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका दाखिल हुई। हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह पूरी तरह से नीतिगत मामला है। उन्होंने कहा, ‘क्या आपको लगता है कि अगर देश भर के सभी जिलों में समितियां होंगी तो प्रदूषण खत्म हो जाएगा।’ बाद में याचिकाकर्ता के वकील ने जनहित याचिका वापस ले ली।