गुरदासपुरः जहां एक ओर रावी नदी का पानी गुरदासपुर के कई गांवों में कहर बनकर फैल रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना की 270 इंजीनियर रेजिमेंट के जवान मानवता और सेवा की मिसाल बनकर उभरे हैं। बीते दिन गांव चौतरा में एक युवक की शादी थी, लेकिन अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने से पूरे गांव में 5-5 फुट तक पानी भर गया। परिजनों को चिंता थी अब बारात कैसे जाएगी?
जैसे ही इस संकट की जानकारी पास में ही अपनी यूनिट के साथ डेरा जमाए बैठे 270 इंजीनियर रेजिमेंट के जवानों को मिली, उन्होंने देर किए बिना गांव की ओर रुख किया। रिटायर्ड सूबेदार गुरप्रीत सिंह, जो इसी गांव के रहने वाले हैं और अब इस राहत अभियान का अभिन्न हिस्सा हैं, की अगुवाई में सेना के जवानों ने लड़के और उसके 10 रिश्तेदारों को सुरक्षित गांव से बाहर निकाला और पेल्स तक पहुंचाया, ताकि शादी की रस्में बिना रुकावट पूरी हो सकें।
यही नहीं, पिछली रात भी इन जांबाजों ने गांव चौतरा के 2 निवासियों को नॉमनी नाले के तेज बहाव से खींचकर रात 11:30 बजे गांव ठाकुरपुर पहुंचाया और फिर सुबह उनके घर चौतरा भी सुरक्षित भेजा।
400 छात्रों में से 130 को रेस्क्यू कर चुके हैं ये जवान
270 इंजीनियर रेजिमेंट की टीम हाल ही में जवाहर नवोदय विद्यालय में फंसे 400 छात्रों में से 130 का सफलतापूर्वक रेस्क्यू भी कर चुकी है। अब तक यह टीम 600 से अधिक लोगों की जान बचा चुकी है। रेजिमेंट ने 26 अगस्त से गुरदासपुर के गांव आले चक में अपना बेस बनाया हुआ है। स्थानीय निवासी और रिटायर्ड सूबेदार गुरप्रीत सिंह ने जवानों को ठहरने के लिए अपनी इमारत, भोजन और आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध करवाई हैं। वे खुद भी जवानों के साथ राहत और रेस्क्यू कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इस राहत कार्य में गांव के लोग भी पीछे नहीं हैं। स्थानीय संगत द्वारा बनाए गए लंगर, राशन, दवाइयां और प्रसाद सेना के जवानों के माध्यम से दूर-दराज के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजे जा रहे हैं।