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Pakistani Army Chief Asim Munir का Jalandhar से हैं पुराना नाता, जानें मामला

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चंडीगढ़: पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं। वह भारत के कट्टर विरोधी हैं, उनके कार्यकाल में पाकिस्तान में आतंकवादियों को पालने-पोसने और भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने का काम कहीं ज्यादा तेज हो गया। इसी वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बनी। बड़ा युद्ध होते होते रह गया। भारतीय सेना के आपरेशन के बाद लग रहा है कि पाकिस्तान को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद वो अपने देश में जबरदस्त आलोचना का शिकार हुए। उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट देखी गई।

वहीं जनरल आसिम मुनीर का जालंधर से खाता नाता रहा है। दरअसल, मुनीर का पारिवारिक इतिहास भारत के पंजाब से गहराई से जुड़ा हुआ है। वह एक पंजाबी मुस्लिम सैयद परिवार से ताल्लुक रखता है और देश के बंटवारे से पहले उसका परिवार जालंधर में रहता था। 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तब पूरे पंजाब में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन्हीं दंगों की आग में झुलसते हुए जनरल मुनीर के पिता, सैयद सरवर मुनीर, अपने परिवार के साथ पाकिस्तान की ओर पलायन करने पर मजबूर हुए। पहले उनका परिवार पाकिस्तानी पंजाब के तोबा टेक सिंह जिले में कुछ समय तक रहा, फिर वे रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद इलाके में बस गए। वह एक मुहाजिर (प्रवासी मुसलमान) थे, जिन्होंने पाकिस्तान में नए सिरे से जीवन की शुरुआत की।

मुनीर के पिता रावलपिंडी में एक स्कूल के प्रिंसिपल थे और साथ ही स्थानीय मस्जिद के इमाम की भूमिका भी निभाते थे। वे एक शिक्षित, धार्मिक और अनुशासित व्यक्ति माने जाते थे, जिनका असर आसिम मुनीर की सोच और परवरिश पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। जनरल मुनीर की प्रारंभिक शिक्षा रावलपिंडी के एक इस्लामिक मदरसे-दार-उल-तजवीद में हुई, जहां कुरान की तिलावत, तजवीद और धार्मिक अध्ययन पर जोर दिया जाता है। बाद में, उसने पाकिस्तानी सेना की सेवाओं में प्रवेश किया और धीरे-धीरे शीर्ष तक पहुंचे। लेकिन उनकी शुरुआती परवरिश और धार्मिक पृष्ठभूमि ने उनके दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया।

यह एक दिलचस्प बात है कि भारत विरोधी बयानों और नीतियों के लिए पहचाने जाने वाले इस जिहादी जनरल की जड़ें उसी भारत की भूमि में हैं, जहां से उनका परिवार बंटवारे के समय गया था। जालंधर की गलियों में खेलने वाला वह परिवार आज पाकिस्तान की सेना की कमान संभाल रहा है। पाकिस्तान के फौज प्रमुख जनरल आसिम मुनीर न सिर्फ इन दिनों उपमहाद्वीप में छाए घने तूफानी बादलों के निशाने पर हैं, बल्कि वे खुद एक तूफान हैं। यह महज संयोग नहीं है कि वे उस वक्त पाकिस्तान की कुख्यात जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस या आईएसआई के मुखिया थे, जब उसने भीषण पुलवामा आतंकी हमले की साजिश रची थी।

जिसमें 16 फरवरी, 2019 को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गए थे। 6 साल बाद, मुनीर अब एक मायने में पाकिस्तान के असली हुक्मरान हैं और एक बार फिर भारत के निशाने पर हैं। कथित तौर पर वे पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हैं। जिसमें 22 अप्रैल को कश्मीर की अल्पाइन जन्नत में 25 सैलानियों और एक स्थानीय शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मोदी सरकार घाटी में दो दशकों में आम नागरिकों के सबसे भीषण कत्लेआम का सैन्य जवाब देने की तैयारी कर रही है। इस दौरान उसे आसिम मुनीर की चालाकी को कमतर करके नहीं आंकना चाहिए।

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