नई दिल्ली: विपक्ष के भारी हंगामे के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक को लोकसभा में पेश किया है। बिल पेश करने के पहले कांग्रेस ने आपत्ति उठाई। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल में संशोधन मेंबर्स से भी लिए जाने चाहिए थे। उनसे पूछा जाना था।
संशोधन के लिए वक्त दिया जाना चाहिए था। वक्त मिला ही नहीं। इस सदन में कभी ऐसा कभी हुआ। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा- मैंने जितना समय गैर-सरकारी संशोधनों को दिया है, उतना ही गैर सरकारी संशोधनों को दिया। दोनों में कोई अंतर नहीं किया गया।
वक्फ बोर्ड बिल मामले पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया साइट एक्स पर बयान दिया। उन्होंने लिखा, “केन्द्र व यूपी सरकार द्वारा मस्जिद, मदरसा, वक्फ आदि मामलों में जबरदस्ती की दखलन्दाजी तथा मन्दिर व मठ जैसे धार्मिक मामलों में अति-दिलचस्पी लेना संविधान व उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त के विपरीत अर्थात ऐसी संकीर्ण व स्वार्थ की राजनीति क्या जरूरी? सरकार राष्ट्रधर्म निभाए। मन्दिर-मस्जिद, जाति, धर्म व साम्प्रदायिक उन्माद आदि की आड़ में कांग्रेस व भाजपा आदि ने बहुत राजनीति कर ली और उसका चुनावी लाभ भी काफी उठा लिया, किन्तु अब देश में खत्म हो रहा आरक्षण व गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन आदि पर ध्यान केन्द्रित करके सच्ची देशभक्ति साबित करने का समय।”
किरेन रिजिजू जब इस बिल को पेश कर रहे थे, इस दौरान विपक्षी दलों द्वारा खूब हंगामा देखने को मिला। इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि ये बिल जो पेश किया जा रहा है वो बहुत ही सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने लॉबी में सुना है कि आपके कुछ अधइकार छीने जा रहे हैं और हमें आपके लिए लड़ना होगा। मैं इस बिल का विरोध करता हूं। इसपर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, अखिलेश जी, क्या इस तरह की गोलमोल बात आप नहीं कर सकते। आप स्पीकर के अधिकार के संरक्षक नहीं हो।