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ऊना उपमंडल की ग्राम पंचायत झंबर का कारनामा, मनरेगा के तहत 32 लाख रुपए संदेह के घेरे में

ऊना उपमंडल की ग्राम पंचायत झंबर का कारनामा, मनरेगा के तहत 32 लाख रुपए संदेह के घेरे में

पंचायत की लेट लतीफी के चलते स्थानीय निवासी रवि कुमार पहुंचे प्रशासन के दरबार

प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के समक्ष उठाई उचित जांच की मांग

ऊना/सुशील पंडित :हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना विकासखंड के तहत पड़ती ग्राम पंचायत झंबर का एक सनसनीखेज कारनामा प्रकाश में आया है, जिसमें देश की सबसे बड़ी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का 32 लाख रुपया संदेह के घेरे में होने की आशंका है। हालांकि जानकारों के अनुसार मनरेगा का एक-एक पैसा मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम (एमआईएस) के माध्यम से ऑनलाइन अपलोड किया जाता है, लेकिन फिर भी इसमें गोलमाल होने का अंदेशा है, शायद इस बात की किसी भी संबंधित अधिकारी व कर्मचारी को भनक तक नहीं है, ऐसे में पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को रोक पाना नामुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव भी है।
जिसको लेकर उक्त पंचायत के स्थानीय निवासी रवि कुमार ने मनरेगा में हो रही धांधली को लेकर एसडीएम ऊना को शिकायत पत्र सौंपा है, रवि कुमार का कहना है कि उनकी पंचायत के वार्ड नंबर 2 व 3 में वित्तीय वर्ष 20-21 में मनरेगा के तहत तीन रास्तों के निर्माण हेतु करीब 32 लाख रुपए से ज्यादा का सेल्फ स्वीकृत हुआ था, जिसमें हरिजन बस्ती, बाबा गरीब नाथ मंदिर व ब्राह्मण मोहल्ला आदि रास्तों के निर्माण के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर खंड विकास अधिकारी कार्यालय ऊना को भेजी गई थीं और खंड विकास अधिकारी द्वारा उपरोक्त कार्यों की सामग्री जैसे कि सीमेंट, रेत, बजरी, सरिया व पेवर टाइल इत्यादि का पैसा वर्ष 2021 में प्रधान द्वारा दिए गए बेंडर के खाते में डाल दिया था, तथा करीब एक वर्ष तक यह पैसा बाइंडर के खाते में ही राज करता रहा, जिसका रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज है, ऐसे में मनरेगा निर्माण कार्यों को देख रहे कर्मचारियों पर भी गाज गिरना तय है, क्योंकि एक वर्ष तक निर्माण कार्य ना होने की जवाबदेही उनकी ही बनती है। 
उन्होंने बताया कि जब ग्रामीणों ने रास्तों के निर्माण ना होने का विरोध किया, तो प्रधान द्वारा आनन-फानन में करीब एक वर्ष बाद जून 2022 में उपरोक्त रास्ता स्थल पर खड्ड का रेता, क्रेशर बजरी व घटिया पेवर टाइलों के डंप लगा कर रख दिए हैं, जिसको एक वर्ष बीत चुका है और रेत पर दो-दो फुट घास उग चुकी है और पेवर टाइल भी काली पड़ चुकी है, जबकि इस सामग्री में अब गुणवत्ता खत्म होने के चलते निर्माण योग्य नहीं है, जिसका जीता जागता प्रमाण उन्होंने रास्ता निर्माण स्थल पर दिया है। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्यों का सीमेंट भी करीब एक वर्ष पहले सिविल सप्लाई से आ चुका है, परंतु इस बात का भी खेद है कि यह सीमेंट कहां पर है? अगर है भी, तो वह निर्माण कार्य योग्य नहीं होगा।
उन्होंने लिखित में शिकायत की है कि जब इस बारे में अन्य पंचायत प्रतिनिधियों से पूछा जाता है तो उनके पास कोई उत्तर नहीं होता है क्योंकि प्रधान के अलावा पंचायत के अन्य प्रतिनिधियों को कोई अता-पता नहीं है कि पंचायत में कार्य कहां हो रहा है, कब हो रहा है और कब खत्म हो रहा है। ऐसे में उपरोक्त सभी बातें संदेह के घेरे में हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधान द्वारा कृषि सब्सिडी से लिए गए ट्रैक्टर में खड्ड का रेता धड़ल्ले से निर्माण कार्यों में प्रयोग किया जा रहा है, जबकि पंचायत रिकॉर्ड में उसका रेट क्रेशर का डाला जा रहा है। उनका कहना है कि गत वर्षो से पंचायत में जितने भी निर्माण कार्य हुए हैं, उनमें खड्ड का रेत ही प्रयोग किया गया है, जिसकी गुणवत्ता की जांच की जानी आवश्यक है। रवि कुमार का आरोप है कि प्रधान द्वारा हर वर्ष विकास कार्यों की कोटेशन भी अपने चहेतों को दी जा रही है और उनके साथ जॉइंट खाता खोलकर पैसों की निकासी की जा रही है। उन्होंने बताया कि पंचायत कार्यों में कोटेशन किसी और की होती है जबकि शटरिंग, टैंकर, मिक्सचर , ट्रैक्टर व यूपी की लेबर यह सब प्रधान खुद अपना ही प्रयोग कर रहा है। क्योंकि वह खुद ठेकेदार है।  रवि कुमार ने कहा है कि उनकी उपरोक्त शिकायत संदेह के घेरे में है इसकी उचित व जड़ स्तर पर तुरंत जांच की जानी चाहिए ताकि सरकार व लोगों का पैसा बचाया जा सके।
वार्ड पंचों को पंचायत कार्यों की नहीं मिलती कोई सूचना..वहीं वार्ड पंचों का कहना है कि चाहे उनका वार्ड हो या फिर कोई अन्य, उन्हें पंचायत के किसी भी निर्माण कार्य को शुरू करने की कोई भी सूचना नहीं मिलती है, और ना ही उन्हें यह बताया जाता है कि उनके संबंधित वार्ड में किस काम के लिए कितना पैसा आया है और कितना खर्च हुआ है। बहरहाल, ग्रामवासियों द्वारा ही उन्हें पंचायत में किसी निर्माण कार्य के होने की सूचना मिलती है, उनका कहना है कि जो भी कार्य हो रहे हैं, वह मनमर्जी से ही हो रहे हैं, उनका यही कहना है कि जब लोगों ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है, तो जवाबदेही भी वह वार्ड पंच से ही मांगने का हक रखते हैं, जो कि उचित व सही है।
वहीं इस मामले में वीडीओ ऊना केएल वर्मा ने कहा की शिकायत के आधार पर एक जांच कमेटी गठित की गई है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आ जाएगी। अगर पंचायत या विभाग में कोई भी दोषी पाया जाता है तो कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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