ब्यूटी: जब झुर्रियों की बात आती है तो लोगों के दिलों दिमाग में सबसे पहले एक ही चीज आती है और वो है बढ़ती हुई उम्र। बहुत से लोगों का यह मानना होता है कि झुर्रियां सिर्फ उम्र बढ़ने या धूप में ज्यादा समय बिताने के कारण होती हैं परंतु अब एक हाल ही में बिंगहैमटन यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च में यह सामने आया है कि झुर्रियां स्किन के शारीरिक व्यवहार के चलते होती हैं।
इसमें रिसर्चर्स ने 16 से 91 साल के लोगों के स्किन सैंपल्स की जांच भी की। उन्होंने पाया कि उम्र बढ़ने के साथ स्किन पहले की तरह बराबर खिंचती और सिकुड़ती नहीं है बल्कि साइड की ओर ज्यादा खिंचती है और जब त्वचा रिलैक्स होती है तो भी हल्का स्ट्रेस बना रहता है। जब यह खिंचाव बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है तो स्किन सिकुड़कर झुर्रियां बन जाती हैं।
इसी साल जुलाई में जर्नल ऑफ द मैकेनिकल बिहेवियर ऑफ बायोमेडिकल मैटेरियल्स में छपी हुई स्टडी ये साबित करती है कि झुर्रियों का मुख्य कारण फिजिक्स है। वहीं उम्र बढ़ने और धूप के कारण होने वाला डैमेज इनको और तेज कर देता है।
बढ़ती उम्र के साथ कम होती है इलास्टिसिटी
वैज्ञानिकों ने स्किन सैंपल्स को टेंसोमीटर नाम की एक मशीन में रखा ताकि इस बात पर रिसर्च हो की वो कैसे खिंचते हैं। उन्होंने यह भी देखा कि जब आपकी उम्र कम होती है तो आपकी स्किन आसानी से खिंचती है और आसानी से अपने ओरिजनल साइज में आ जाती है हालांकि यदि आपकी उम्र ज्यादा है तो स्किन अनइवेनली सिकुड़ जाती है इससे अंदर खिंचाव पैदा होने लगता है और आखिर में स्किन मुड़ ही जाती है बिल्कुल ऐसे ही जैसे कागज मुड़ने पर सिलवटें पड़ जाती हैं। इस मुड़ने के प्रोसेस को बकलिंग कहते हैं।
यह इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ स्किन की इलास्टिसिटी कम हो जाती है और कोलेजन फाइबर कमजोर होकर ढीले होने लगते हैं इससे स्किन पर परमानेंट सिलवटें और झुर्रियां दिखने लगती हैं। ऐसे में जब
त्वचा सूर्य के किरणों के अंतर्गत आती है तो झुर्रियां जल्दी नजर आती हैं। यूवी किरणें कोलेजन और इलास्टिन को नुकसान पहुंचा देती हैं। येे वो प्रोटीन होते हैं जो स्किन को मजबूत और लचीला बना देते हैं। इसका नतीजा यहां यह होता है कि धूप में ज्यादा समय बिताने वाले युवाओं में भी उम्र के पहले झुर्रियां पड़ने लगती हैं। सिर्फ यही कारण है कि बाहर काम करने वाले किसानों के चेहरे पर अक्सर घर के अंदर काम करने वालों के मुकाबले में ज्यादा झुर्रियां दिखती हैं।
कैसे दूर करें चेहरे की झुर्रियां?
ज्यादातर लोग स्किनकेयर प्रोडक्ट्स कोलेजन बढ़ाने या फिर अपनी त्वचा को हाइड्रेट रखने पर ध्यान देने लगते हैं परंतु रिसर्च के अनुसार, आपकी स्किन का स्ट्रेस कम करना चाहिए। वैज्ञानिक अब माइक्रोमेश पैच का टेस्ट कर रहे हैं जो स्किन के खिंचाव को बराबर करेंगे। वहीं रिसर्चर्स ऐसे पेप्टाइट्स पर काम कर रहे हैं जो त्वचा सेल्स को उनके फाइबर्स को फिर से सीधी लाइन लगाने में मदद करेंगे। इससे स्किन की इलास्टिसिटी और मजबूती बढ़ेगी। इन नए तरीकों को टारगेट करके झुर्रियों का असली कारण यानी की स्किन का स्ट्रेस कम करना है ताकि झुर्रियां सिर्फ छिपने की जगह उनकी बनने की प्रक्रिया कम की जा सके।