नई दिल्लीः कोलकाता उच्च न्यायालय ने कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनौली को अंतरिम जमानत दे दी है। यह फैसला मुस्लिम समुदाय और पैगंबर मुहम्मद पर कथित तौर पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के मामले में लिया गया है। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि यदि पनौली को उसकी पोस्ट से संबंधित कोई धमकी मिलती है, तो पुलिस उसे सुरक्षा प्रदान करे।
न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि पनोली के कॉलेज का पता और व्यक्तिगत जानकारी शिकायत में उजागर कर दी गई, जिससे उन्हें जान का खतरा हो सकता है। अदालत ने माना कि अब और पूछताछ की जरूरत नहीं है और उन्हें जमानत दी जा सकती है। कोर्ट ने पनोली को बॉन्ड भरने और जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। साथ ही, यह भी कहा कि अगर उन्हें धमकियां मिलें तो राज्य पुलिस उन्हें आवश्यक सुरक्षा प्रदान करे।
बता दें कि मामला तब गरमाया था, जब पनौली ने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में इंस्टाग्राम और ‘एक्स’ पर एक कथित आपत्तिजनक वीडियो साझा किया। इसके बाद भारी विरोध के कारण उसने वीडियो हटा दी थी और माफी भी मांग ली थी, लेकिन इसके बावजूद 15 मई 2025 को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और 17 मई को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।
दरअसल, पुलिस ने शर्मिष्ठा पनोली को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट में पेश एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने बताया कि पनोली गिरफ्तारी से बच रही थीं और बिना राज्य की जानकारी के बाहर से पकड़ी गईं। उन्हें ट्रायल कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। सरकार ने तर्क दिया कि जब कोई शिकायत संज्ञेय अपराध को दर्शाती है तो पुलिस को FIR दर्ज करना अनिवार्य होता है।
दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी सिंह ने पनोली की ओर से दलील दी कि यह मामला मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़ा है और उन्होंने विवादित वीडियो को अगले ही दिन हटा दिया और माफी भी मांग ली थी। उन्होंने यह भी कहा कि ब्लास्फ़ेमी (धार्मिक अपमान) भारतीय कानून में कोई अपराध नहीं है और पनोली केवल एक पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूज़र को जवाब दे रही थीं।