नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर NIA की शुरुआती जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, पकड़े गए ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) से पूछताछ में सामने आया है कि हमला प्री-प्लान्ड था। आतंकी दो दिन पहले ही बैसरन घाटी में पहुंच चुके थे। जांच एजेंसियों का कहना है कि आतंकी 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे। इन तीन दिन में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की धरती पर खूनी खेल खेलने का प्लान बनाया। बैसरन में नरसंहार को अंजाम देने से पहले आतंकी क्षेत्र में ही स्थित आरू घाटी, एम्यूजमेंट पार्क या बेताब घाटी में खूनी खेल खेलना चाहते थे।
उन्होंने चारों लोकेशनों की पहले रेकी की थी, लेकिन सुरक्षाबलों की उपस्थिति, सुरक्षित बच निकलने के कम विकल्प और कम भीड़ होने के कारण उन्होंने इरादा बदल लिया। बताया जा रहा है आतंकी 7 दिन तक पहलगाम और उसके साथ सटे क्षेत्रों में घूमते रहे। बैसरन को उन्होंने हमले से 2 दिन पहले ही चुना। मामले की जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बैसरन हमले में लिप्त आतंकी पहलगाम और उसके साथ सटे इलाकों में अपने स्थानीय मददगारों के साथ लगभग एक सप्ताह पहले से घूम रहे थे। वह 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे। आरु घाटी पहलगाम से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यह एक शांत और बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो घने जंगलों और ट्रेकिंग रूट्स के लिए जाना जाता है। यहां से कोलाहोई ग्लेशियर की ट्रेकिंग शुरू होती है।
आरु घाटी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन वहां पुलिस और सेना की छोटी पोस्ट्स भी हैं, जो गतिविधियों पर नजर रखती हैं। इस बीच, एनआइए के एक दल ने बैसरन में नरसंहार स्थल का दौरा कर ड्रोन के जरिए पूरी फुटेज तैयार की। इसके अलावा हमले के तुरंत बाद वहां पहुंचे सुरक्षा अधिकारियों व कुछ घोड़ेवालों से भी बातचीत की है। सूत्रों के अनुसार, बैसरन नरसंहार के गुनहगारों को पकड़ने के लिए सुरक्षा बल ने अपना तलाशी अभियान जारी रखा हुआ है। सुरक्षा बल ने 20 के करीब ऐसे ओवरग्राउंड वर्करों को चिह्नित किया है, जो हमलावर आतंकियों के साथ संपर्क में रह चुके हैं। इनमें से कुछ जेल में बंद हैं। चार ओवरग्राउंड वर्करों ने पाकिस्तानी आतंकियों के लिए कथित तौर पर गाइड का भी काम किया है। पांच ओवरग्राउंड वर्करों के बारे में कहा जा रहा है कि वह हमले के समय पहलगाम और बैसरन के आसपास थे और आतंकियों से फोन पर संपर्क बनाए हुए थे।
आतंकियों के एक ओवरग्राउंड वर्कर ने उन्हें फोन पर उस जगह की भी जानकारी दी, जहां उन्हें हमले के बाद पहुंचना था। जांच में एक अल्ट्रा-स्टेट संचार उपकरण के दो सिग्नल भी पकड़े हैं। इस उपकरण के जरिए बिना सिमकार्ड के मोबाइल फोन से आडियो या वीडियो काल के लिए कनेक्ट किया जा सकता है, संदेश भेजा जा सकता है। जिस क्षेत्र में ये सिग्नल पाए गए थे, उसकी गहन तलाशी ली गई है और जांच जारी है। आतंकियों के मददगारों को पकड़ा गया पहलगाम हमले को लेकर जांच एजेंसियों ने अभी तक 2600 संदिग्ध तत्वों से पूछताछ की है और उनमें से 188 को कथित तौर पर हिरासत में लिया है। इनके अलावा 20 ओवरग्राउंड वर्करों को भी पकड़ा गया है। इनके बारे में कहा जा रहा है कि ये मारे जा चुके आतंकी जुनैद के अलावा बैसरन हमले में लिप्त आतंकियों के संपर्क में रह चुके हैं।