बठिंडाः नगर निगम के एक्सईएन गुरप्रीत सिंह बुट्टर की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। स्थानीय अदालत और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत याचिक रद्द होने के बाद स्थानीय निकाय विभाग ने एक्सईएन गुरप्रीत सिंह को आज ड्यूटी से सस्पेंड कर दिया गया। दरअसल, 4 अप्रैल को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दायर जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया है। हाईकोर्ट में विजिलेंस विभाग ने कहा था कि गुरप्रीत सिंह के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर केस दर्ज करने के बाद उसके पास चल व अचल संपत्ति का एक अनुमानित खुलासा हुआ है, जबकि असल संपत्ति की जांच व इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए उसकी गिरफ्तारी कर रिमांड लेकर जांच व पूछताछ करना लाजमी है। इस दौरान बैंक अकाउंट के साथ उनके व परिजनों के नाम चल व अचल संपत्ति के बारे में भी जानकारी जुटाना जरूरी है। इसके बाद हाईकोर्ट के जज ने मामले में दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार सस्पेंड करने आदेश आज स्थानीय निकाय विभाग एडिशनल चीफ सेक्रेटरी तेजवीर सिंह की ओर से पत्र जारी कर जरिए कर दिए गए है। विभाग की तरफ से जारी आदेशों के अनुसार लिखा गया निगम एक्सईएन गुरप्रीत सिंह के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा की तरफ एफआईआर नंबर 7- 25 फरवरी 2025 में लगे गंभीर आरोपों के कारण इस अधिकारी को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है और सस्पेंड के दौरान इस अधिकारी का हेडक्वार्टर अब मुख्य दफ्तर स्थानीय सरकार विभाग चंडीगढ़ होगा। यह आदेश संबंधित अथॉरिटी की तरफ से मंजूरी लेने के उपरांत जारी किए गए है। बता दें कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में पिछले डेढ़ माह से फरार चल रहे गुरप्रीत सिंह को गिरफ्तार करने के लिए विजिलेंस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन उसके बारे में कोई ज्यादा स्टीक जानकारी नहीं मिल रही है। वहीं, उसके रिश्तेदारों व नजदीकी लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
गौरतलब है कि बीती 25 फरवरी को विजिलेंस ब्यूरो बठिंडा ने नगर निगम के एक्सईएन गुरप्रीत सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार कर करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाने के मामले में केस दर्ज किया था। यह कार्रवाई गुरप्रीत सिंह के खिलाफ लंबे समय से चली आ रही शिकायत की जांच पड़ताल करने के बाद की गई, जिसमें जांच के दौरान उसके पास आय के स्रोतों से 1.83 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति पाई गई थी। ऐसे में हाईकोर्ट से जमानत याचिका रद्द होने के बाद अब सिर्फ ही विकल्प बचे है, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर करना या फिर विजिलेंस के पास आत्मसर्मण करना ही है। कानूनी जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी हाईकोर्ट के आदेशों को लागू करने के आदेश जारी कर सकती है।