मोगाः गांव घोलियां खुर्द में एक अनोखी प्रतियोगिता देखने को मिली। जहां एक संस्था की ओर से फ्री बैठना (वेहले बैठण) का कंपीटिशन करवाया जा रहा है। इस मुकाबले में हिस्सा लेने वालों के लिए 11 शर्तें रखी गई हैं। इसमें मोबाइल का इस्तेमाल न करने, झगड़ा न करने जैसी शर्त रखी गई है। मुकाबला जीतने वाले को साइकिल और 4500 रुपए, रनर अप को 2500 रुपए, थर्ड रहने वाले को 1500 रुपए मिलेंगे। आयोजक का कहना है कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य लोगों की मोबाइल से दूरी बनाना है। उनको ये बताना है कि मोबाइल के बिना जीवन में कितनी शांति और मानसिक सकून है।
गांव घोलियां खुर्द के आयोजक विक्रमजीत सिंह ने बताया कि फ्री बैठने का मुकाबला समय की जरूरत है। हम फ्री बैठकर बात करना भूल चुके हैं। लोगों को मोबाइल की आदत हो गई है। मोबाइल की बीमारी से बाहर निकालने के लिए ये मुकाबला करवाया जा रहा है। इससे पता चलेगा कि कौन कितनी देर तक फुर्सत से बैठ सकता है। इसमें लोगों के मानसिक संतुलन का भी पता चलेगा। विक्रमजीत सिंह ने बताया कि इस मुकाबले में कुल 55 लोग हिस्सा ले रहे हैं। इसमें किसी भी आयु वर्ग के लोग हिस्सा ले सकते थे। शर्त बस इतनी थी कि वो सेहतमंद हो और बैठ सकता हो। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इसमें आ सकता था। इसके लिए कोई भी एंट्री फीस नहीं रखी गई है। जो अंत तक बैठा रहेगी उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा। समय की कोई सीमा नहीं है।
आयोजक ने बताया कि बिना कोई काम किए बैठे रहने के इस मुकाबले के पहले 12 घंटे में कुछ ही लोग आउट हुए हैं। हो सकता है कि ये मुकाबला 24 घंटे या उससे भी अधिक देर तक चले। अभी विनर कोई नहीं हुआ है। बच्चे, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग मुकाबला जीतने के लिए उत्साहित नजर आ रहे हैं। बुजुर्गों के लिए ये मुकाबला ज्यादा मुश्किल नहीं होगा लेकिन युवाओं का बिना मोबाइल के बैठे रहना दिलचस्प रहेगा। मुकाबले में किताबें पढ़ने, अपने-अपने धर्म का सिमरन करने की छूट रहेगी।
विक्रमजीत सिंह ने बताया कि मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए 11 कड़े नियम बनाए गए हैं। इनमें से एक ये भी है कि न तो आप खाना खा सकते हैं और न ही बॉशरूम जा सकते हैं। लड़ाई-झगड़ा करने या ऊंचा बोलने वाले को मुकाबले से बाहर करने की शर्त है। इसके अलावा एक बार मुकाबले से बाहर हुआ व्यक्ति दोबारा एंट्री करवाकर अंदर नहीं आ सकता।
विक्रमजीत ने बताया कि ये प्रतियोगिता करवाने के पीछे यूथ को ये बताना मकसद है कि मोबाइल के बिना भी जीवन है। आज युवा पीढ़ी मोबाइल में डूबकर जिस तरह से परिवार को भूल चुके हैं, उन्हें याद दिलाना है कि परिवार नाम की भी कोई चीज होती है। मोबाइल की वजह से दुनियाभर में कई परिवार टूट रहे हैं। लोगों के तलाक तक हो रहे हैं। लोग सुसाइड तक कर रहे हैं। बच्चे अपनी आंखें गंवा रहे हैं। पूरा समाज मोबाइल ने टेंशन में डाल रखा है।
विक्रमजीत ने बताया कि अभी लोग मुकाबले में बने हुए हैं। देखते हैं कि कौन इसका विजेता बनता है।