लुधियानाः जिले में दो दिन पहले डकैती मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार 7 करोड़ नहीं बल्कि 8.49 करोड़ की लूट की गई है। पुलिस ने इस लूट के मामले में मुल्लापुर टोल बैरियर तोड़कर भागी संदिग्ध स्विफ्ट और स्विफ्ट डिजायर के बारे में पुलिस ने जांच कर ली है। ये लुटेरों की नहीं बल्कि नशेड़ियों की निकली। नशे की वजह से उन्होंने टोल बैरियर तोड़ा था। देर शाम इन दोनों गाड़ियों के मालिकों को ट्रेस किया गया। 3 लोगों को कोटकपूरा से हिरासत में लिया था, जो मोगा के रहने वाले निकले।
पुलिस अब इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि लुटेरे मुल्लापुर के गांव पंडोरी से खाली कैश वैन छोड़ कर पुलिस को चकमा देने के लिए अन्य वाहन पर लुधियाना की ओर यू-टर्न लेकर न आ गए हों। इस बीच दोराहा, खन्ना और फिल्लौर, फगवाड़ा आदि कस्बों में भी पड़ताल जारी है।
गांव पंडोरी के बाद लुटेरे किस वाहन में शिफ्ट हुए हैं ये रहस्य अभी तक बरकरार है। इतनी बड़ी नकदी को बिना किसी वाहन में शिफ्ट किए ले जाना नामुमकिन है। पंडोरी गांव के आगे पुलिस को किसी तरह का कोई क्लू नहीं मिल रहा। अभी तक प्राइवेट लोगों के सवा सौ के करीब कैमरे पुलिस चेक कर चुकी है। फिरोजपुर रोड़ पर एलिवेटेड रोड के कार्य के कारण यहां से सेफ सिटी प्रोजेक्ट के कैमरे हटाए गए हैं। यदि यह कैमरे चल रहे होते को कार चालक का ड्राइवर आसानी से ट्रेस हो जाता। लेकिन अब गांव पंडोरी से आगे पुलिस की ब्रेक लग चुकी है। कई ढाबों पर भी कुछ संदिग्ध लोगों की सीसीटीवी पुलिस ने देखी, लेकिन फिलहाल हाथ खाली है। पुलिस अब सियाज और एसेंट कार पर वर्क कर रही है। पुलिस की टीमें रायकोट, बठिंडा, जगराओं, मोगा और फिरोजपुर आदि शहरों में सर्च कर रही है। इन शहरों से संदिग्ध वाहनों के सीसीटीवी आदि खंगाले जा रहे हैं।
कंपनी का सेंसर सिस्टम भी जुगाड़ू देसी लगा रखा है। तार काटने के बाद अलार्म बजना चाहिए था, लेकिन वह बंद हो गया। वहीं ये सेंसर सिस्टम अंगूठे के निशान या कार्ड बार कोड से खुलना चाहिए। जबकि यह आम तारों से कनेक्ट किया हुआ था।
कंपनी में 50 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इनकी रिकॉर्डिंग 5 डीवीआर में होती है जो लुटेरे अपने साथ ले गए। इस बीच क्लाउड सिस्टम का कंपनी ने इस्तेमाल नहीं किया, जिस कारण वारदात की अंदर की सीसीटीवी पुलिस को नहीं मिल पा रही। जिस जगह वारदात की उसने नजदीक है एक अलमारी थी, जिसमें करीब 24 राइफल पड़ी थी। वह अलमारी भी खुली छोड़ी हुई थी, लेकिन लुटरों ने राइफल नहीं चुराई हैं। पुलिस को शक है कि लूट करने से पहले इलाके की रेकी की होगी। बदमाशों को आगे और पीछे दोनों रास्तों के पूरी जानकारी थी। वह कंपनी के ऑफिस से पूरी तरह से परिचित थे। इसीलिए उन्होंने यहां आकर CCTV कैमरे बंद कर दिए। इसके अलावा सेंसर की तारें भी काट दी, ताकि उनके अंदर घुसने पर कोई अलार्म वगैरह न बजे। इसी वजह से वारदात का इलाके में किसी को पता नहीं चल पाया।
पुलिस को शक है कि इस मामले में कोई ऑफिस का कर्मचारी भी मिला हो सकता है। ऐसा न होता तो लुटेरों को इतना ज्यादा कैश होने और अंदर घुसने से लेकर दूसरी तमाम बातों की जानकारी नहीं होती। अभी तक पता नहीं चल पाया है कि लुटेरें किस वाहन में लूट करने के लिए सीएमएस कंपनी तक पहुंचे।
