अब लोगों के लिए केवल नाव ही सहारा।
गुरदासपुर। देश भर में हो रही बारिश ने कई राज्यों में कोहराम मचा रखी है। कहीं बादल फट रहे हैं तो कहीं भूस्खलन हो रहे है। जिससे कितने लोगों के घर उजड़ गये हैं। साथ ही आम लोगों का जीवन थम सा गया है। इसी बीच गुरदासपुर के सीमावर्ती शहर दीनानगर के अधीन मकोरा पतन में रावी नदी पर बने अस्थायी पुल को हटा दिये जाने से रावी नदी पार के 7 गांवों का संपर्क भारत से टूट गया है। जिससे अब लोगों का एकमात्र इन गांवों में नाव से जाना बचा है। जिससे इस गांव में रहने वाले लोग अपने आप को असहाय महसूस समझते हैं।
वहीं, आजादी के 75 साल बीत जाने के बावजूद किसी भी सरकार ने इन गांवों की सुध नहीं ली, जिसके कारण कई लोग इन गांवों को छोड़ चुके हैं। केवल गांवों में रावी नदी पर पक्का पुल न होने के कारण इन लोगों के पास कोई भी सुख सुविधा नहीं है, इसलिए देश की आजादी आज इनके लिए कोई मायने नहीं रखती।
रावी नदी के उस पार रहने वाले गांव के लोगों ने बताया कि भारत-पाक सीमा से सटे करीब एक दर्जन गांव के लोग भारत का हिस्सा हैं, लेकिन बरसात के दिनों में इन गांवों के लोग खुद को असहाय महसूस करते हैं। आजादी के 75 साल बाद भी पुल के उस पार रहने वाले 7 गांवों के लोग खुद को गुलाम मानते हैं, क्योंकि जब भी यह अस्थायी पुल हटाया जाता है तो ये लोग देश से कट जाते हैं। कई लोग तो यहां तक कहते हैं कि आजकल हमें पता ही नहीं चलता कि हम किस देश के नागरिक हैं क्योंकि यह इलाका दो नदियों के पार और एलओसी के पास है।
बरसात के दिनों में नहर विभाग द्वारा बनाया गया प्लाटून पुल टूट जाता है और लोगों को आने-जाने के लिए एक ही नाव का सहारा लेना पड़ता है। जो कभी-कभी नदी में पानी का स्तर अधिक होने के कारण नहीं चल पाता है और इसके पार बसे 7 गांव टापू बन जाते हैं और फिर लोगों के आने का पता चलने का कोई साधन नहीं रहता है। रावी नदी के पार के 7 गांवों भारिल, तुरबानी, रायपुर चिब, मामी चक्रांगन, काजले, झुंबर, लस्यान आदि के लोग अक्सर सरकार से हर साल पक्के पुल की उम्मीद करते हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता।
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