बीबीएन सहित पड़ोसी राज्यों से पुष्पांजलि देने उमडा लोगों का सैलाब
बेटों ने कहा कि उनके पद चिन्हों पर चलकर करेंगे सामाजिक कार्य
बददीसचिन बैंसल: बददी के सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज भारद्वाज को शहर के महाराणा प्रताप नगर में अंतिम श्रद्वांजलि अर्पित की गई। उनको श्रद्वाु सुमन अर्पित करने के लिए बददी बरोटीवाला, झाडमाजरी, मानपुरा, नालागढ़,स्वारघाट, कुठाड व नयना देवी एरिया के अलावा पड़ोसी राज्यों से लोग पहुंचे थे। मंच संचालन करते हुए हिम औद्योगिक कल्याण सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलवीर जमवाल व डा. किशोर ठाकुर ने स्व. हंसराज भारद्वाज की प्रेरणादायक जीवनी पढ़ी कि किस प्रकार एक साधारण किसान परिवार में 20 मई 1948 को जन्मे हंसराज भारद्वाज ने अपनी सादगी व ईमानदारी से हजारों लोगों के दिलों में अटूट जगह बनाई।
इसके बाद हरिओम योगा सोसाईटी के अध्यक्ष डा श्रीकांत शर्मा, हिमाचल ड्रग मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन क अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता, लघु उद्योग भारती प्रदेश महासचिव संजीव शर्मा, अंबाला से प्रदीप चौहान, व्यापार मंडल के संरक्षक राजेश जिंदल, पूर्व विधायक परमजीत सिंह, राजेंद्र यादव, उनकी बेटी रजनी चौहान व हंसराज भारद्वाज के कालका के शिष्य विजय बंसल ने हंसराज भारद्वाज के संघर्षमय व प्रेरणादयक जीवन व उनके दूसरों को नए नए काम करने को प्रोत्साहित करने वाल किस्से सांझा किया।
हिमाचल की विभिन्न औद्योगिक, सामाजिक, धार्मिक, श्रमिक, मीडिया जगत, व व्यापारिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने अपने पत्रों के माध्यम अपना शोक संदेश प्रेषित किया। इसके अलावा हिमाचल के अलावा दूरदराज प्रांतों से आए लोगों भी स्व. हंसराज भारद्वाज के कार्यकाल के दौरान मिले अनुभवों को अपने लिए राम बाण करार दिया। होटल इंडस्ट्री के बलविंद्र ठाकुर व राजपूत सभा के सचिव शेषपाल राणा ने कहा कि भारद्वाज जी बडों के साथ बडे तो बच्चों के साथ बच्चे बन जाते थे और अपनी मुस्कान से हर किसी का दिल जीत लेते थे।
दानी गिरी एंड कंपनी ने मां बाप की महिमा व वियोग पर भजन सुनाकर पूरे पंडाल को रुला दिया। उनके पुत्र डा. रणेश राणा व ऋषि ने कहा कि पिता जी के दिखाए हुए रास्ते पर हम चलेंगे और सेवा समपर्ण को अपना ध्येय बनाकर कार्य करने का प्रयत्न करेंगे।
बालयोगी महाराज ने दिया जीवन का मंत्र-
हरियाणा के परम संत बालयोगी जी महाराज ने उपस्थित लोगों को जीने का मंत्र दिया कि जीवन वही है जो कि दूसरों के काम आए वरना हमारे व जानवरों में कोई फर्क नहीं रह जाता है। इस नश्वर शरीर ने चोला छोडना ही होता है और वर्तमान व्यक्ति का रोज एक दिन कम हो जाता है लेकिन तृष्णा बढ़ती जाती है। उन्होने कहा कि अपने जीवन को सेवा कार्यों में लगाकर मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होना चाहिए।
इतना जनसैलाब पहली बार देखा-हरिओम सिंह
हरियाणा से विशेष तौर पर स्व हंसराज भारद्वाज को नम आंखो से श्रद्वासुमन अर्पित करने पहुंचे फार्मा उद्यमी हरिओम सिंह त्रिदेव ने कहा कि वह बीस साल से सार्वजनिक, सामाजिक व राजनीतिक जीवन में है लेकिन एक आम साधारण व्यक्तित्व के लिए श्रद्वांजलि देने के लिए जो जन सैलाब उमडा वो पहली बार देखा और ऐसा लगाव सियासी नेताओं के प्रति भी देखने को भी नहीं मिलता। त्रिदेव ने कहा कि भारद्वाज जी कभी किसी राजनीतिक व सामाजिक ओहदे पर नहीं थे लेकिन फिर भी उनको श्रद्वासुमन देखने के लिए लोगों में होड देखी व कतारबद्व होकर लोग आए वो उनकी ईमानदारी, कर्तव्य परायणता व मेहनतकश को दर्शाता है व समर्पित है।
