जालंधर, ENS: पंजाब में स्वाइन फ्लू का 2 दिन पहले एक केस आने के बाद से स्वास्थ्य विभाग सर्तक हो गया है। इसी के चलते अस्पतालों को एडवाइजरी जारी कर फ्लू कॉर्नर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही ऑक्सीजन का स्टॉक भी पूरा रखने के लिए कहा गया है। वहीं अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए पहले से ही पुख्ता प्रबंध शुरू कर दिए गए है। मामले की जानकारी देते हुए स्वाइन फ्लू के इंचार्ज डॉक्टर परमजीत सिंह ने कहा कि स्वाइन फ्लू के मरीजों को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है।
ऐसे में ऑक्सीजन के प्लांट्स में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद है। डॉक्टर ने कहा कि र्दी के मौसम में लोगों को सांस लेने में दिक्कत आती है। लोगों को अन्य बीमारियों से भी अपने आप को बचाने की खास जरूरत है। शहर से स्वाइन फ्लू का पहला मरीज सामने आने के बाद विभाग अलर्ट मोड पर है। ये फ्लू ज्यादातर सर्दी के मौसम में अपना असर दिखाता है। जिले में स्वाइन फ्लू से बचाव करने के लिए लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया गया है। मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो अस्पतालों में विशेष स्टाफ और सफाई का प्रबंध रखने के आदेश दिए जा चुके है।
इस दौरान डॉक्टर ने कहा कि सामान्य फ्लू के लक्षणों जैसे बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहना, शरीर में दर्द, सिर दर्द, ठंड लगना और थकान के समान होते हैं। स्वाइन फ्लू से पीड़ित कई लोगों को दस्त और उल्टी का भी अनुभव हुआ है, लेकिन ये लक्षण कई अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकते हैं। मामले आमतौर पर मानसून के दौरान बढ़ जाते हैं। इस परिस्थिति में गले में खराश और खांसी के हल्के लक्षण देखने को मिलते हैं। केवल कमजोर इम्यूनिटी वाले वरिष्ठ नागरिकों को आईसीयू या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
डॉ. ने कहा कि स्वाइन फ्लू से बचने के लिए स्वच्छता का पालन करना चाहिए, जैसे छींकते समय अपनी नाक को ढकना, खांसते समय रूमाल या टिशू का उपयोग करना, फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए आंख, नाक या मुंह को छूने से बचना चाहिए। डॉ. ने बताया कि स्वाइन फ्लू के उपचार में देरी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं और मृत्यु का खतरा हो सकता है। BP, शुगर के रोगियों और शरीर के कमज़ोर होने या गर्भावस्था जैसी स्थिति के साथ ही वरिष्ठ नागरिकों को भी इससे अधिक सावधान रहना चाहिए। खुद दवाओं का इस्तेमाल न करें डाक्टरों की सलाह लें।