Loading...
- Advertisement -
HomereligiousGanesh Chaturthi: घर में लाएं विघ्नहर्ता की ऐसी मूर्ति, सुख-समृद्धि का होगा...

Ganesh Chaturthi: घर में लाएं विघ्नहर्ता की ऐसी मूर्ति, सुख-समृद्धि का होगा वास

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

धर्म: गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भारत में बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। घर में लोग गणपत्ति बप्पा को विराजमान करवाते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। पूरा वातावरण पॉजिटिविटी से भर जाता है। इस साल यह उत्सव कल यानी की 27 अगस्त से शुरु होगा। गणेश जी की मूर्ति घर में लाते समय आपने यह गौर भी किया होगा कि लोग गणेशोत्सव पर अलग-अलग मुद्रा वाले गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं। आज आपको बताते हैं कि गणेश जी की अलग-अलग मुद्राओं वाली मूर्ति का क्या महत्व है।

दाई ओर सूंड वाले गणपति

दाई ओर सूंड वाले गणपति जी की मूर्ति को सिद्धिविनायक और दक्षिणाभिमुखी कहते हैं। इस रुप की यह खासियत होती है कि भगवान गणेश की सूंड दाई ओर मुड़ी होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि घर में दाईं सूंड वाले गणपति जी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाए तो घर की आर्थिक स्थित मजबूत होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली कोई भी मुश्किल, ठोकरें और बाधाएं भी दूर होती हैं।

लेटे हुए गणपति

जिस मूर्ति में गणपति जी लेटे हो उसको भी बहुत खास माना जाता है। खासतौर पर बिजनेस करने वाले लोगों को ऐसी प्रतिमा की पूजा करते हैं क्योंकि इसको सुख-समृद्धि का कारण माना जाता है। लेटी हुई गणेश जी की मूर्ति घर की तरक्की और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने वाली भी मानी जाती है।

नृत्य मुद्रा वाले गणपति

यदि कोई कला या संगीत में रुचि रखता हो तो उसको नृत्य मुद्रा में बैठे हुए गणेश जी की स्थापना करनी चाहिए। ऐसी मूर्ति उनके लिए बेहद लाभकारी साबित होगी। नृत्य करते हुए या वाद्य यंत्र बजाते हुए गणेश जी की मूर्ति की पूजा करने से घर में खुशियां आती और कला की दुनिया में भी सफलता मिलती है। यह मूर्ति ऊर्जा और आनंद का प्रतीक भी मानी जाती है।

बाई और सूंड वाले गणेश 

इस तरह की मूर्ति को वाममुखी और वक्रतुंड गणेश भी कहते हैं। सबसे ज्यादा लोग ऐसी ही मूर्ति पसंद करते हैं। ये गणेश का सबसे आम और लोकप्रिय रुप माना जाता है। इस दिशा का संबंध उत्तर दिशा से होता है और इसे चंद्रमा की खास एनर्जी के साथ जोड़ा जाता है। चंद्रमा की यह ऊर्जा शांति, सुख-शांति और भौतिक समृद्धि को भी दर्शाती है ऐसे में बाई और मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश की प्रतिमा को लक्ष्मी का वरदान देने वाली मानी जाती है।

चूहे पर खड़े हुए गणपति

जिस मूर्ति में गणपति चूहे पर खड़े हों उसको गणराज कहते हैं। यह मूर्ति हिम्मत और साहस का प्रतीक मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस मूर्ति की पूजा करने से जीवन में जिम्मेदारी निभाने की ताकत मिलती है और मुश्किलें भी आसान होती हैं।

सीधी सूंड वाले गणपति

गणेश जी का ऐसा रुप भी बहुत खास और दुर्लभ माना जाता है। ये रुप इसलिए भी जरुरी होता है क्योंकि इसकी सूंड सीधे ऊपर की ओर होती है जो सुषु्म्ना नाड़ी के खुलने का प्रतीक मानी जाती है। सुषुम्ना नाड़ी हमारे शरीर की मुख्य ऊर्जा नाड़ी होती है जो मन और आत्मा को साथ में जोड़ती है। यह नाड़ी उस समय खुलती है जब व्यक्ति और भगवान के बीच में एक गहरा तालमेल बनता है। मान्यताओं के अनुसार, इस स्थिति में इंसान पूरी तरह से आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ भर जाता है और उसके जीवन में शांति, संतुलन और सफलता आती है।

बैठे हुए गणेशजी की मूर्ति

ऐसी मूर्ति घर में रखना और उसकी पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, जब घर में बैठे हुए गणपति का चित्र स्थापित होता है और उसकी विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है तो घर में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है। बैठे हुए गणेश जी घर का वातावरण पॉजिटिव एनर्जी के साथ भर देते हैं और परिवार की हर मनोकामना को पूरा करने में मदद करते हैं।

Disclaimer

All news on Encounter India are computer generated and provided by third party sources, so read and verify carefully. Encounter India will not be responsible for any issues.

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest News

- Advertisement -
- Advertisement -

You cannot copy content of this page