खेल: भारतीय शतरंज के इतिहास में एक नई उपलब्धि शामिल हो गई है। 19 साल की दिव्या देशमुख ने FIDE वूमेन्स वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम किया है। दिव्या ने दुनिया की शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ियों में शुमार कोनेरु हम्पी को पछाड़ अपने नाम यह उपलब्धि की है। फाइनल मुकाबले में दोनों भारतीय दिग्गजों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली है। दोनों ही क्लासिकल गेम्स ड्रॉ रहे और फिर फैसला रैपिड टाईब्रेकर में हुआ। दिव्या देशमुख ने हम्पी को हराकर न सिर्फ खिताब जीता है बल्कि एक नया इतिहास भी रच दिया है। आपको बता दें कि वह शतरंज विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई है।
Divya Deshmukh wins the 2025 FIDE Women’s World Cup! 🏆
🥇 Divya Deshmukh
🥈 Humpy Koneru
🥉 Tan ZhongyiResults – Final:
Divya Deshmukh 2.5-1.5 Humpy Koneru
Tan Zhongyi 1.5-0.5 Lei Tingjie
#FIDEWorldCup pic.twitter.com/NDtnO4pPXU
— International Chess Federation (@FIDE_chess) July 28, 2025
इनाम राशि में मिलेंगे 43 लाख रुपये
इस शानदार जीत के साथ ही दिव्या देशमुख भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बन गई है। ग्रैंडमास्टर की उपाधि शतरंज की दुनिया में बहुत ही मशहूर है। इसको हासिल करना किसी भी खिलाड़ी के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। इस जीत के बाद दिव्या को इनाम की राशि के तौर पर 43 लाख रुपये मिलेंगे और हम्पी को करीबन 30 लाख रुपये दिए जाएंगे।
टूर्नामेंट में ऐसे की जीत अपने नाम
इस टूर्नामेंट में दिव्या ने कई बड़े उलटफेर किए। उन्होंने दूसरी वरीयता प्राप्त जिनेर झू (चीन) को हराया। फिर भारत की डी.हरिका को हराकर पूर्व विश्व चैंपियन टैन झोंगयी को सेमिफाइनल में हराया था। यह फाइनल सिर्फ दिव्या की व्यक्तिगत उपलब्धि ही नहीं है बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय महिला शतरंज अब विश्व पटल की नई ऊंचाईयों पर पहुंच चुकी है। यह एक इस तरह का मुकाबला था जहां अनुभव और युवावस्था, साहस और रणनीति आमने-सामने थे।
दिव्या देशमुख ने शनिवार और रविवार को खेले गए दो क्लासिकल मुकाबलों के ड्रॉ होने के बाद ट्राईब्रेकर में जीत दर्ज की। सोमवार को समय नियंत्रित टाईब्रेकर की पहली बाजी में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने हम्पी को फिर से ड्रॉ पर रोका परंतु दूसरी बाजी में काले मोहरों से खेलते हुए उन्होंने दो बार की विश्व रैपिड चैंपियर को हरा दिया। 2.5-1.5 से उन्होंने जीत दर्ज की।
वर्ल्ड चैंपियन बनी दिव्या
दिव्या न सिर्फ वर्ल्ड चैंपियन बनी है। इसके साथ ही वह भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन गई है। ग्रैंडमास्टर बनने के लिए आमतौर पर तीन ग्रैंडमास्टर नॉर्म्स और 2500+ FIDE रेटिंग की जरुरत होती है लेकिन कुछ खास इंटरनेशनल टूर्नामेंट जीतने पर भी खिलाड़ी को सीधे ग्रैंडमास्टर का टाइटल दिया जाता है और FIDE वूमेन्स वर्ल्ड कप भी उन्हीं में से एक है। आपको बता दें कि दिव्या पहले भारत की जिन तीन महिला चेस खिलाड़ियों को ग्रैंडमास्टर का दर्ज मिला उनमें कोनेरु हम्पी, हरिका द्रोणावल्ली और आर. वैशाली शामिल हैं। आपको बता दें कि पिछले साल भारत की डी.गुकेश पुरुष वर्ग में चेस वर्ल्ड चैंपियन बने थे।
जीत के बाद बोली दिव्या
दिव्या को यह जीत उस समय मिली है जब भारत ने पुरुष शतरंज में काफी सफलता हासिल की। इसमें विश्व चैंपियन डी. गुकेश. आर प्रज्ञानांनदा और अर्जुन एरिगेसी जैसे खिलाड़ी काफी अच्छे प्रयास कर चुके हैं। अपने से दौगुनी उम्र की प्रतिद्वंदवी के खिलाफ जीत के बाद दिव्या भावुक हो गई। वह अपने आंसु नहीं रोक पाई। हम्पी ने दिव्या के खिलाफ हारने से पहले आखिर तक संघर्ष किया था। दिव्या ने कहा मुझे इसे समझने के लिए समय चाहिए। मुझे लगता है कि यह नियति की बात थी कि मुझे ऐसे ग्रैंडमास्टर का खिताब मिला क्योंकि इस टूर्नामेंट से पहले मेरे पास एक भी नॉर्म नहीं था और अब मैं ग्रैंडमास्टर हूं।

