नगर परिषद ऊना के ऑफिस में पार्षद और अधिकारी हुए आमने सामने

नगर परिषद ऊना के ऑफिस में पार्षद और अधिकारी हुए आमने सामने

84 पौडियों के पुरातत्व जीर्णोद्धार के शिलान्यास में पार्षद आमंत्रित न करने का आरोप 


ऊना/ सुशील पंडित: ऊना जिला नगर परिषद का कार्यालय में अधिकारी और पार्षद के बीच शुरू हुई बहसबाजी हाथापाई तक जा पहुंची। दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे पर हाथापाई करने के आरोप लगाए हैं वही एक तरफ जहां अधिकारी ने पार्षद पर लात घुसे बरसाने का आरोप लगाया, वहीं पार्षद ने अधिकारी पर उसके कपड़े फाड़ने का आरोप लगाया है। घटना के तुरंत बाद पुलिस को मौके पर बुलाया गया, वहीं दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत दी है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शहर के 84 पौड़ियों को पुरातत्व के रूप में संवारने के लिए शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन वीरवार को किया गया था, जिसमें नगर परिषद के अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित भाजपा पार्षदों को नहीं बुलाने का आरोप लगाते हुए ऐतराज जताया गया और इसी को लेकर नौबत हाथापाई तक जा पहुंची। वार्ड नंबर 5 के पार्षद जनक राज खजांची ने आरोप लगाया कि उन्होंने शिलान्यास कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने को ऐतराज जताया था, लेकिन एसडीओ राजेंद्र कुमार सैनी ने उन्हें गले से पकड़ लिया और उनकी कमीज के बटन तोड़ दिए। जिसके जवाब में उन्होंने भी एसडीओ के साथ धक्का मुक्की करते हुए अपना बचाव किया। इस मामले में नगर परिषद के एसडीओ राजेंद्र कुमार सैनी का आरोप है कि पिछले कल हुए शिलान्यास कार्यक्रम में उन्हें भी शिलान्यास के वक्त पर निमंत्रण दिया गया। हालांकि यह काम नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी का होता है, लेकिन यहां से कार्यकारी अधिकारी का तबादला होने के चलते यह चार्ज एसडीएम को दिया गया है। इसी मामले को लेकर वार्ड नंबर 5 के पार्षद जनक राज खजांची ने कार्यालय पहुंचकर उन पर हमला किया। 

वहीं नगर परिषद ऊना की अध्यक्ष पुष्पा देवी, उपाध्यक्ष विनोद कुमार पुरी, पार्षद जनकराज खजांची, ममता कश्यप पवन कपिला, उर्मिला चौधरी, इंदू बाला ने नगर परिषद कार्यालय में हुई घटना को लेकर अधिकारियों को जमकर आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को कभी भी किसी राजनीतिक दल के एजेंट के रूप में काम नहीं करना चाहिए लेकिन नगर परिषद में काम करने वाले कुछ अधिकारी अपनी हदों को पार करते हुए नेताओं के दलाल बन बैठे हैं। जिसके चलते उन्हें सरेआम जलील भी होना पड़ रहा है। लगे हाथ उन्होंने पूर्व विधायक सतपाल सिंह रायजादा और नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष बाबा अमरजोत बेदी को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि किस हैसियत से इन दोनों ने शहर की चुनी हुई नगर परिषद को दरकिनार करते हुए शहर में शिलान्यास जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि अधिकारी भी इस बात का ध्यान रखें की सरकारें आती जाती रहती हैं यदि इस प्रकार किसी राजनीतिक दल के दलाल बनकर काम करने लगे तो उनके साथ हर जगह इसी तरह का व्यवहार होगा। जिसके लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे। 


क्या बोले विधायक सतपाल सिंह सत्ती


विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने नगर परिषद कार्यालय में शुक्रवार को हुई घटना के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि नगर परिषद एक लोकतांत्रिक संस्थान है, इसके निर्णय करने का अधिकार उसी को होना चाहिए। किसी भी बाहरी व्यक्ति को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और अधिकारियों को भी बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप की बजाय उसे सदन के सम्मानित सदस्यों के अनुरूप काम करना चाहिए जिनके लिए उसे तैनात किया गया है। विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकारों के समय भी परिषद अपना काम करती रही है, जिसमें कभी कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। नगर परिषद चाहे बीजेपी की रही हो या कांग्रेस की उसे एक स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करने का पूरा मौका दिया गया। इसके साथ ही हर काम को सिरे चढ़ाने में हर नगर परिषद या स्थानीय इकाई को भाजपा सरकारों का पूरा सहयोग रहा है। विधायक ने कहा कि नगर परिषदों में तैनात किए गए अधिकारियों को भी अपने दायरे में रहकर किसी काम को करना चाहिए अन्यथा सीमाएं लांघने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। नगर परिषद के चुने हुए सदस्य जनादेश से आते हैं और अधिकारियों को उसे जनादेश का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि नगर परिषद कार्यालय में हुई घटना लोकतंत्र का गला घोंटने का ही परिणाम है। नगर परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों को अधिकारियों द्वारा अनदेखा करके बाहरी लोगों की चाटुकारिता करना अत्यंत निंदनीय है। विधायक ने कहा कि सरकारें आती और जाती रहती हैं लेकिन अधिकारियों को किसी का दलाल बनने की बजाय अपने कर्तव्य पालन की तरफ ही ध्यान देना चाहिए।